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मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने में सरकार कोई परेशानी नहीं, लेकिन इसमें बदलाव होना जरूरीः मंत्री खाचरियावास

परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार को प्रदेश में मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसमें बदलाव होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जुर्माना कम करके विधि विभागों को फाइल भेज दी है.

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मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास

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Published : Jan 7, 2020, 8:52 PM IST

जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी में मंगलवार को छात्रसंघ कार्यालय का उद्घाटन किया गया. इस दौरान परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश की सरकार को मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन एक्ट में जो कमियां है, उनमें बदलाव करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि एक्ट में 17 सेक्शन ऐसे हैं, जिसमें राज्य सरकारों को जुर्माना कम करने का अधिकार है.

देश में मोटर व्हीकल एक्ट लागू करने को लेकर बोले खाचरियावास

परिवहन मंत्री ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र परिवहन मंत्री नितिन गडकरी खुद अपने राज्य में मोटर व्हीकल एक्ट लागू नहीं करवा पा रहे हैं. उधर, गुजरात सरकार ने तो हेलमेट ही हटा दिए हैं. उन्होंने कहा कि 4 हजार की मोटरसाइकिल और 40 हजार का जुर्माना संभव नहीं है. खाचरियावास ने कहा कि संविधान के अनुसार जो राज्य सरकार का अधिकार है, उसके अनुसार सरकार जुर्माना कम कर सकती है. सरकार ने जुर्माना कम करके विधि विभागों को फाइल भेज दी है.

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मंत्री खाचरियावास ने कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह से धमकी दे रही है, वो लोकतंत्र में ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि धमकी से ना कल डरते थे और ना आज. खाचरियावास ने कहा कि यह देश संविधान से चलता है. उन्होंने कहा कि पहले केंद्र सरकार और नितिन गडकरी अपने राज्यों में मोटर व्हीकल एक्ट लागू करवाएं.

दरअसल, सोमवार को परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से राज्यों को एक एडवाइजरी भेजी गई, जिसमें कहा गया है कि मोटर व्हीकल एक्ट में निर्धारित जुर्माना की राशि को कम करने का राज्य सरकारों के पास कोई अधिकार नहीं है. एडवाइजरी में कहा गया है कि इसमें बदलाव के लिए किसी भी राज्य को पहले राष्ट्रपति की सहमति लेनी होगी.

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परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि यदि कोई राज्य सरकार इस नए कानून को लागू नहीं करती है तो केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 256 के तहत इस को अनिवार्य रूप से लागू करने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करेगी. अनुच्छेद 256 प्रावधान करता है कि राज्य संसद की ओर से निर्मित कानूनों को अपने यहां लागू करें और एडवाइजरी में अटॉर्नी जनरल की सलाह का भी उल्लेख किया गया है.

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