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बिहार के प्रवासी मजदूर नहीं जा पा रहे अपने घर, कारण...बिहार सरकार से परमिशन का 'ना' होना

जयपुर के कानोता में बने शेल्टर होम का जायजा जब ईटीवी भारत की टीम ने लिया तो वहां देखा की बड़ी तादाद में शेल्टर होम्स में श्रमिक बसें लगाई जा रही हैं, ताकि श्रमिकों को उनके राज्यों के बॉर्डर तक छोड़ दिया जाए. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है बिहार के प्रवासी मजदूरों को. क्योंकि बिहार सरकार ने अभी तक कोई परमिशन नहीं दी है.

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बिहार के प्रवासी मजदूर नहीं जा पा रहे अपने राज्य पार्ट-2

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Published : May 19, 2020, 12:30 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब से यह आदेश दिए हैं, कि कोई भी प्रवासी मजदूर सड़कों पर अगर पैदल चलता हुआ दिखाई दिया तो एसडीएम इसके लिए जिम्मेदार होंगे. अब हालात यह हैं, कि प्रदेश में पैदल चलते हुए प्रवासी श्रमिक तो नहीं दिखाई दे रहे लेकिन जो श्रमिक पैदल चलते हुए प्रशासन को मिले उन्हें जिलों में अलग-अलग जगह बनाए गए शेल्टर होम में रखा गया है.

बिहार के प्रवासी मजदूर नहीं जा पा रहे अपने राज्य पार्ट-1

बता दें, कि जयपुर के कानोता में बने शेल्टर होम का जायजा जब ईटीवी भारत की टीम ने लिया तो वहां देखा कि बड़ी तादाद में शेल्टर होम्स में श्रमिक बसें लगाई जा रही है ताकि श्रमिकों को उनके राज्यों के बॉर्डर में छोड़ दिया जाए. लेकिन राजस्थान सरकार के सामने दिक्कत यह है कि जब तक श्रमिकों के राज्य उन्हें लेने की इजाजत नहीं देते हैं तब तक वह इन्हें यहां से छोड़ भी नहीं सकते हैं. ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है बिहार के प्रवासी मजदूरों को.

बिहार के बाद झारखंड और पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों के हालात भी लगभग इसी तरीके के है. हालांकि यूपी और मध्य प्रदेश के जितने भी प्रवासी श्रमिक है उन्हें उनकी सरकार आने की इजाजत दे रही हैं. ऐसे में यूपी और मध्य प्रदेश के प्रवासी श्रमिक इन शेल्टर होम में कम ही दिखाई देते हैं और जो होते हैं वह भी बसों में बैठकर रवाना हो जाते हैं, लेकिन बिहार के मजदूरों के हालात यह है कि करीब 4 दिन हो गए हैं उन्हें जयपुर के कानोता मे बने शेल्टर होम में आए, लेकिन अब भी बिहार सरकार की इजाजत नहीं मिलने के चलते इन्हें ले जाया नहीं जा पा रहा हैं और बिहार के प्रवासी मजदूर अटके हुए हैं.

बिहार के प्रवासी मजदूर नहीं जा पा रहे अपने राज्य पार्ट-2

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सभी मजदूरों के शेल्टर होम लाया गया...

तमाम मजदूर पैदल चल रहे थे, उन्हें प्रशासन के द्वारा इन शेल्टर होम में लाया गया है. लेकिन अब दिक्कत हो गई है कि बिहार सरकार की अनुमति के इंतजार में यह श्रमिक कानोता में ही रह गए हैं. ऐसे में अब यह श्रमिक सीधे तौर पर नीतीश कुमार पर अपना गुस्सा निकालते हुए दिखाई दे रहे हैं और एक ही बात बोल रहे हैं कि नीतीश कुमार बुलाए या ना बुलाए हम अपने जन्म स्थान पर जरूर जाएंगे. वहीं कुछ मजदूरों और श्रमिकों का यह कहना था, कि जब चुनाव आते हैं तब हमें कैसे सरकार ले जाती है और अभी परेशानी के समय में हमें बुलाने से इंकार कर रही हैं.

सीएम नीतीश कुमार से नाराज प्रवासी मजदूर

परेशान मजदूरों ने नीतीश कुमार से यहां तक कह दिया, कि 15 सालों से क्या इसी दिन के लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था और आज हम जितने परेशान हैं इसका नतीजा भी नीतीश कुमार को आने वाले विधानसभा चुनाव में देखने को मिल जाएगा. कानोता में बने शेल्टर होम में प्रवासी बिहारी मजदूरों का कहना है, कि यूपी और बिहार के लिए तुरंत बसे लग जाती हैं और वह चले जाते लेकिन बिहार जाने की कोई सुविधा नहीं है.

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प्रदेश में प्रवासी मजदूरों के हालातों पर एक नजर...

1. कुछ प्रवासी श्रमिक बाड़मेर से आए हैं, जिन्हें झारखंड जाना है. ऐसे में प्रशासन उन्हें लेकर कानोता के शेल्टर होम में आ गया. बाड़मेर से वह आधे रास्ते लिफ्ट लेकर आए, जिसमें हर व्यक्ति के हजारों रुपए लग गए. अब उनके पास पैसा भी नहीं है और राजस्थान की गवर्नमेंट कह रही है की परमिशन मिलते ही आप लोगों को भेज दिया जाएगा.

2. जयपुर के मीणा मीनावाला और अन्य इलाकों में दिहाड़ी करने वाले मजदूर यह बोलते दिखाई दिए, कि बिहार में कोई भी बस यहां से जा नहीं रही है और हमें कैसे भेजना है इसके बारे में सरकार सोचे. पहले 2 महीने इसलिए नहीं निकले, कि लगा लॉकडाउन समाप्त हो जाएगा और आसानी से चले जाएंगे. लेकिन लॉकडाउन आगे बढ़ता जा रहा है अब इंतजार कैसे करें.

3. कुछ बिहारी मजदूरों ने नाराजगी जताते हुए कहा, कि नीतीश कुमार को क्या यह दिन दिखाने के लिए ही 15 साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया गया. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी सब को बुला रहे हैं तो नीतीश ऐसा क्यों नहीं कर रहे? 4 दिन से हम यहां अटके हुए हैं. खाने को मिल रहा है, लेकिन घर जाने के लिए पैसे नहीं है.

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