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Special: शिक्षा महकमे ने छात्रों के हक का अधूरा निवाला ही उन तक पहुंचाया - Mid Day Meal Alternatives

जब पूरे देश में कोरोना के चलते लॉकडाउन लागू हुआ था. उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर मिड-डे-मील की वैकल्पिक व्यवस्था की गई. हालांकि केंद्र सरकार ने पके हुए भोजन की बजाय सूखा राशन लाखों छात्रों तक पहुंचाया, लेकिन प्रदेश के शिक्षा विभाग ने अब तक इस राशि का पूरा इस्तेमाल नहीं किया.

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छात्रों के हक का अधूरा निवाला ही उन तक पहुंचाया

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Published : Oct 15, 2020, 10:18 PM IST

जयपुर.कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश के स्कूल 14 मार्च से बंद हैं. ऐसे में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 62.67 लाख छात्रों को स्कूलों में मिलने वाला मिड-डे-मील भी बंद है. केंद्र सरकार के निर्देश पर राज्य सरकार की ओर से अब तक 57 हजार मीट्रिक टन गेहूं और चावल छात्रों तक पहुंचाए गए. लेकिन अभी भी कुकिंग कनवर्जन कॉस्ट के हिस्से के दाल, मसाले और तेल बच्चों तक नहीं पहुंचे हैं. वहीं गेहूं और चावल भी छात्रों तक जून महीने तक का ही पहुंचाया गया है.

छात्रों के हक का अधूरा निवाला ही उन तक पहुंचाया

केंद्र सरकार के निर्देश पर कोरोना काल में हुए लॉकडाउन में मिड-डे-मील की वैकल्पिक व्यवस्था की गई. पके हुए भोजन की बजाय सूखे राशन को लाखों छात्रों तक पहुंचाया गया. यही नहीं केंद्र सरकार मिड-डे-मील की राशि भी लगातार भेज रही है. पहली से पांचवी तक के छात्रों के लिए 4.97 रुपए और छठी से आठवीं तक के छात्रों के लिए 7.45 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से कुकिंग कनवर्जन कॉस्ट की राशि दी जा रही है. प्रदेश के 62.67 लाख छात्रों के लिए बीते 6 महीने में करीब 500 करोड़ रुपए की राशि आ चुकी है. लेकिन प्रदेश के शिक्षा विभाग ने अब तक इस राशि का पूरा इस्तेमाल नहीं किया. छात्रों के हक का अधूरा निवाला ही उन तक पहुंचाया गया.

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी

शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार:

हालांकि शिक्षा विभाग अब जून महीने के बाद से लेकर स्कूल बंद रहने तक का सूखा राशन छात्रों तक पहुंचाने की तैयारी कर रहा है. साथ ही कनवर्जन कॉस्ट के हिस्से के दाल, मसाले और तेल आदि भी छात्रों तक पहुंचाए जाएंगे. इस संबंध में प्रदेश के शिक्षा मंत्री ने कहा कि मिड-डे-मील के तहत स्कूलों में चावल और गेहूं के साथ खाने में 3 दिन दाल, 3 दिन सब्जी भी बच्चों को खिलाई जाती है.

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ऐसे में अब गेंहू चावल के अलावा दाल, तेल और मसाले भी बच्चों तक पहुंचाए जाएंगे. प्रतिदिन के खाने में पहली से पांचवी तक के बच्चों को 20 ग्राम और छठी से आठवीं तक के बच्चों को 30 ग्राम दाल, जबकि 50 से 75 ग्राम सब्जी और पांच से 7.5 ग्राम तेल दिया जाएगा. इस संबंध में निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं और एक बार फिर परिजनों को छात्र की आईडी के साथ स्कूल बुलाकर ये राशन वितरित किया जाएगा.

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बहरहाल, कोरोना काल में छात्रों के मिड-डे-मील पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. केंद्र और राज्य सरकार भले ही तमाम दावे करे. लेकिन हालात ये है कि अभी केवल एक बार ही जून महीने तक का गेहूं और चावल छात्रों को मिल पाया है. जबकि फिलहाल अक्टूबर महीने के भी 10 दिन बीत चुके हैं और राज्य सरकार 31 अक्टूबर तक स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं है. ऐसे में सरकार को जल्द छात्रों तक जुलाई-अगस्त-सितंबर और अक्टूबर चार महीने के राशन को पहुंचाने की जिम्मेदारी पूरी करनी होगी.

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