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MGNREGA in Rajasthan: शहरी क्षेत्रों में भी मिलेगा रोजगार, टास्क पूरा नहीं किया तो तय मानदेय में होगी कटौती

मनरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए (MGNREGA in Rajasthan) प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के लिए 800 करोड़ का बजट रखा है. इसके साथ ही मजदूरों को तय समय पर टास्क पूरा करने पर ही मिनिमम वेजेस दिया जाएगा.

MGNREGA in Rajasthan
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के लिए 800 करोड़ का बजट

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Published : Jun 20, 2022, 7:44 AM IST

जयपुर.मनरेगा की तर्ज पर शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बेरोजगारों को रोजगार देने वाला पहला प्रदेश राजस्थान बनने जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के लिए 800 करोड़ का बजट भी रखा है. लेकिन इस पैसे को राज्य सरकार फूंक-फूंक कर खर्च करेगी. योजना के तहत हर बेरोजगार परिवार को 100 दिन का रोजगार दिया जाएगा. जिसमें 259 से 333 रुपए तक मिनिमम वेजेस तय किया गया है. लेकिन ये पैसा भी श्रमिक को तब मिलेगा जब वो हर दिन दिया गया अपना टास्क पूरा करेगा. अन्यथा इस मिनिमम वेजेस में से भी कटौती की जाएगी.

प्रदेश में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का काम देख रहे स्वायत्त शासन विभाग के चीफ इंजीनियर भूपेंद्र माथुर ने (MGNREGA in Rajasthan) बताया कि योजना के तहत जरूरतमंद व्यक्ति के परिवार को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा. श्रम विभाग की गाइडलाइन के अनुसार अकुशल श्रमिक को ₹259, अर्ध कुशल श्रमिक को ₹271 और कुशल श्रमिक को ₹283 दिए जाएंगे.

इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के लिए 800 करोड़ का बजट

वहीं हाई स्किल्ड लेबर को ₹333 तक भी दिए जाएंगे. श्रम विभाग की इसी गाइडलाइन के अनुसार एक मजदूर को एक दिन में कितना काम करना है, ये भी निर्धारित किया गया है. इसमें विभाग में जायज कार्यों को ही शामिल किया गया है. करीब 20 कार्य अनुमत श्रेणी में रखे गए हैं. आगामी 3 महीनों में मानसून को देखते हुए और जिन कार्यों को सीधे तौर पर दिखाया जा सकता है, उन्हें प्राथमिकता दी गई है.

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इसमें वाटर कंजर्वेशन के पुराने स्ट्रक्चर कुंड-बावड़ी के रखरखाव का कार्य, शहर के एंट्रेंस एरिया को अपलिफ्ट करने के नजरिए से जंगली घास-झाड़ी को हटाने, डिवाइडर्स पर रंग रोगन जैसे कार्य आईडेंटिफाई किए जा रहे हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रामीण क्षेत्र में जो मनरेगा योजना है, उसी तर्ज पर शहरी क्षेत्र में भी जो टास्क दिया गया है, उसे उसी दिन पूरा करना होगा. टास्क के एसेसमेंट के लिए टेक्निकल टीम का रिक्रूटमेंट भी किया जा रहा है. यदि टास्क पूरा नहीं होता है, तो उसके अनुसार ही कटौती का प्रावधान भी तय किया गया है.

योजना के तहत एक श्रमिक के पास इस तरह के होंगे टास्क :

  • खुदाई का कार्य (सामान्य मिट्टी) 1 दिन में 70 घन फीट
  • खुदाई का कार्य (कठोर मिट्टी) 1 दिन में 57 घन फीट
  • घास, झाड़ी, रबिश सफाई कार्य 1 दिन में 200 वर्ग मीटर
  • छोटी नाली से सिल्ट (गाद) निकालने का कार्य 1 दिन में 62 घन फीट
  • दीवार पर सीमेंट पेंट का कार्य 1 दिन में 130 वर्ग फीट
  • पेड़ों की निराई गुड़ाई 1 दिन में 111 पेड़
  • पेड़ों को पानी देने के लिए थावला बनाने का कार्य 1 दिन में 77 पेड़
  • पेड़ों को पानी देने का कार्य 15 लीटर 1 दिन में 30 पेड़

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इनके अलावा भी योजना में पर्यावरण संरक्षण कार्य, जल संरक्षण कार्य, स्वच्छता और सेनिटेशन कार्य, सम्पत्ति विरूपण रोकने संबंधी कार्य, कंजर्वेशन कार्य, सेवा सबंधी कार्य, हेरिटेज संरक्षण, प्रधानमंत्री आवास योजना / मुख्यमंत्री आवास योजना में आवास निर्माण के कार्यों को लेकर भी 1 दिन में एक समय को कितना कार्य करना होगा इसे लेकर गणित लगाया जा रहा है. ताकि 18 से 60 साल तक के बेरोजगारों को 100 दिन के रोजगार से अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका मिल सके.

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