राजस्थान में करीब 12 लाख घर लौटे प्रवासी मनरेगा के काम में लगे, सबसे आगे ये 4 जिले
कोरोना संक्रमण काल में राजस्थान लौटे करीब 12 लाख प्रवासी मनरेगा में लगे हुए हैं. वहीं बीते 1 महीने में 80 हजार नए जॉब कार्ड बने है. जिसमे सबसे ज्यादा प्रवासी भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर से है.
मजदूरों को मनरेगा में मिला रोजगार
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Published : Jun 6, 2020, 7:38 PM IST
जयपुर.कोरोना के संकट काल में एक ओर जहां लोगों के काम धंधे ठप पड़े हुए है. वहीं दूसरी ओर प्रवासी मजदूर के रोजी रोटी पर संकट खड़ी है. ऐसी स्थिति में मनरेगा लोगों की रोजी रोटी कमाने के नया आसरा बनकर सामने आया है. प्रदेश में रहने वाले गांव, ढाणी के लोग हो या फिर प्रवासी श्रमिक, जिन्हे कोरोना संकट के चलते मजबूरन अपनी रोजी-रोटी छोड़कर अपने गांव वापस लौटना पड़ा है. उन सभी को मनरेगा ने बड़ा सहारा दिया है.
प्रदेश में 5 जून तक 48 लाख 31 हजार 413 लोग मनरेगा में काम कर रहे हैं. जो बीते साल से 15 लाख ज्यादा है. बीते साल 4 जून 2019 को प्रदेश में 32 लाख 98 हजार 638 नरेगा कर्मी कार्यरत थे. ऐसे में करीब 15 लाख जो श्रमिक मनरेगा में बढ़े हैं. उनमें से करीब 12 लाख प्रवासी श्रमिक माने जा रहे हैं. जो वापस कोरोना संकट के चलते राजस्थान लौट आए हैं.
ज्यादातर मजदूर या श्रमिक जो वापस लौटकर मनरेगा में काम कर रहे हैं. उनके जॉब कार्ड पहले से बने हुए थे, लेकिन जिनके जॉब कार्ड नहीं बने थे. उसके लिए भी काम जारी है और अब तक प्रदेश में एक लाख 7 हजार नए जॉब कार्ड बने हैं, जिनमें से 80 हजार जॉब कार्ड तो पिछले 1 महीने में ही जारी हुए हैं.
मतलब साफ है कि यह 80 हजार वह प्रवासी हैं. जिन्होंने पहले नरेगा जॉब कार्ड नहीं बनवाए थे. बीते साल को आधार माना जाए तो ज्यादा प्रवासी मजदूर राजस्थान में भीलवाड़ा, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर से हैं.