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जयपुर: आवारा पशुओं को सड़कों से हटाने के लिए निगम को ज्ञापन

जयपुर में आवारा पशुओं को सड़कों से हटाने के लिए गोरक्षा परिषद और हाथोज धाम के बालमुकुंदाचार्य ने नगर निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा है. बालमुकुंदाचार्य ने आरोप भी लगाया कि निगम प्रशासन और हाईवे अथॉरिटी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं.

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Published : Aug 26, 2020, 7:02 PM IST

Problem of stray animals,  Road accident
आवारा पशुओं को सड़कों से हटाने के लिए निगम को ज्ञापन

जयपुर.हर रोज कहीं ना कहीं आवारा पशुओं के चलते दुर्घटना और ट्रैफिक जाम की समस्या आती रहती है. आवारा पशुओं की समस्या भयावह रूप ले रही है. कई बार आवारा पशु वाहनों की चपेट में आकर मर भी जाते हैं. सड़क हादसों में हो रही गोवंश की मौत पर चिंता जताते हुए, गोरक्षा परिषद और हाथोज धाम के बालमुकुंदाचार्य ने नगर निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा. बालमुकुंदाचार्य ने आवारा पशुओं को सड़कों से हटाने की गुहार लगाई.

बालमुकुंदाचार्य ने नगर निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपा

पढ़ें:अजमेरः सड़कों पर घूम रहे आवारा पशु बन रहे हादसों का सबब

शहर में यहां-वहां घूमते आवारा पशु नगर निगम के लिए चुनौती बने हुए हैं. हालांकि निगम प्रशासन हर दिन अवैध डेयरियों पर कार्रवाई कर, गोवंश को हिंगोनिया गौशाला भी पहुंचाता है. वहीं, आवारा पशुओं को भी पकड़ कर गौशाला तक ले जाया जाता है. बावजूद इसके आवारा पशु सड़क हादसों की वजह बने हुए हैं. कभी वाहन चालक तो कभी खुद पशु दुर्घटना में घायल हो जाते हैं, और उनकी मौत भी हो जाती है. इसी पर चिंता व्यक्त करते हुए गोरक्षक परिषद और हाथोज धाम के बालमुकुंदाचार्य ने नगर निगम कमिश्नर दिनेश कुमार यादव को ज्ञापन सौंपा. उन्होंने हाईवे पर घूमने वाले गोवंश को गौशाला तक पहुंचाने की मांग की. साथ ही आरोप भी लगाया कि निगम प्रशासन और हाईवे अथॉरिटी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं.

आयुक्त दिनेश यादव ने कहा कि शहर में सड़कों पर घूमने वाले गोवंश को हिंगोनिया गोशाला में पहुंचाया जाता है. पशुपालकों में जागरूकता की कमी के चलते वो पशुओं को शहर में विचरण के लिए छोड़ देते हैं. जिससे सड़कों पर आवारा पशुओं की संख्या बढ़ती जा रही है. साथ ही कुछ ग्रामीण इलाकों से भी पशुओं को शहर के आस-पास छोड़ दिया जाता है. लेकिन निगम की ओर से सख्ती से कार्रवाई की जा रही है, इसका निरंतर प्रयास किया जा रहा है कि शहरी क्षेत्र में गोवंश ना रहें. बता दें कि शहर से पकड़े गए गोवंश को हिंगोनिया गोशाला ले जाया जाता है. वहीं, दुर्घटना में घायल हुए पशुओं का भी गौशाला में बने हुए चिकित्सा केंद्र पर ही उपचार किया जाता है. हालांकि, इनमें से 70 फीसदी की मौत हो जाती है.

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