जयपुर.सीएम अशोक गहलोत की ओर से की गई बजट घोषणा में फल-सब्जी विक्रय पर आढ़त यानी कमीशन का विरोध तेज होता जा रहा है. गहलोत ने बजट में कमीशन 6 फीसदी की जगह 5 फीसदी कर दिया है, जिसका विरोध तेज होता जा रहा है.
टर्मिनल मार्केट मुहाना के निवर्तमान चैयरमेन (अध्यक्ष) दुर्गालाल माली ने बताया कि बजट घोषणा में मुख्यमंत्री ने फल-सब्जी विक्रेता आढ़त 6 फीसदी की जगह 5 फीसदी किया है. सरकार का यह कदम आढ़तियों के साथ कुठाराघात है. उन्होंने कहा कि सरकार को महंगाई के दौर में आढ़तियों की आढ़त 6 फीसदी से अधिक बढ़ानी चाहिए थी. लेकिन सरकार ने इसमें एक प्रतिशत कमी की है. इस संबंध में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर दोबारा आढ़त 6 फीसदी यथावत रखने की मांग की गई है. 16 साल से 6 प्रतिशत आढ़त चलती आ रही है. महंगाई के साथ आढ़त को बढ़ाना चाहिए था. आढ़त में कमी करने से व्यापारियों को बहुत नुकसान होगा.
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उन्होंने बताया कि सब्जियां सीजन के हिसाब से मार्केट में आती हैं, जिस पर बहुत कम मूल्य मिल पाता है. सब्जी पर मूल्य कम मिलने से आढ़त यानी कमीशन भी कम मिलता है. पांच प्रतिशत आढ़त में व्यापारियों का खर्चा निकलना भी मुश्किल हो जाएगा, जिससे व्यापारियों को भी स्टाफ में छटनी करनी पड़ेगी और बेरोजगारी बढ़ेगी. मौजूदा आढ़त से किसानों पर प्रभाव नहीं पड़ता है. सब्जियां खराब होने पर व्यापारियों को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखकर आढ़त यथावत रखने की गुहार लगाई गई है.
दुर्गालाल माली ने बताया कि वर्तमान बजट में घोषणा की गई थी कि फल-सब्जी बिक्री पर आढ़त (कमीशन) 6 प्रतिशत की जगह 5 प्रतिशत किया जा रहा है. एक प्रतिशत आढ़त कम करने से आढ़तियों को नुकसान होगा. कोरोना महामारी के कारण वैसे ही व्यापार काफी प्रभावित हुआ है. व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. आढ़त कम करने से अब स्टाफ को वेतन देना भी भारी पड़ेगा.
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उन्होंने कहा कि मेडिसिन पर 30 से 40 प्रतिशत कमीशन है. फल सब्जी का व्यापार ऐसा व्यापार है, जिसमें व्यापारियों की उधार ज्यादा होती है. फल सब्जी शीघ्रनासी वस्तुएं हैं. समय ऐसा भी आता है, जब कोई खरीददार नहीं होता है तो किसान को ट्रांसपोर्ट का किराया आढ़तिया (व्यापारी) अपनी जेब से अदा करता है. इसलिए मुख्यमंत्री से अपील की गई है कि आढ़त कमीशन को 6 प्रतिशत यथावत रखा जाए. बजट में 1 प्रतिशत आढ़त कम करने की घोषणा को वापस लिया जाए.