जयपुर. महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए समान अवसर चाहिए, ये कहना है ग्रेटर नगर निगम महापौर डॉ सौम्या गुर्जर का. महिला दिवस के मौके पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में डॉ. सौम्या गुर्जर ने अपना सफर और इस सफर में मिली सीख को साझा करते हुए बताया कि, उन्होंने बचपन में ही जेंडर इक्वलिटी का पाठ पढ़ लिया था. लेकिन समाज में अभी भी पुरुषों को ही प्राथमिकता दी जाती है. राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष स्तर पर महिलाओं के पहुंचने पर लोगों को पीड़ा होने लगती हैं. ऐसे में महिलाओं को समान अवसर की जरूरत है. इसी के साथ उन्होंने ग्रामीण और शहरी महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी अपने विचार रखे.
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नारी परिवार और समाज की केंद्र बिंदु होती है. स्वामी विवेकानंद द्वारा कहा गया ये कथन ग्रेटर नगर निगम महापौर डॉ सौम्या गुर्जर पर सटीक बैठता है. कारण साफ है महापौर ने हाल ही में एक पुत्र को जन्म दिया और डिलीवरी के महज 5 दिन के बाद ही निगम का कार्यभार दोबारा संभाल लिया. इसके पीछे महापौर ने अपनी दोहरी जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि महिला होने के नाते वो इस चुनौती को हंसते-हंसते निभा रही हैं. उन्होंने कहा कि उनका मातृत्व इस बात की इजाजत नहीं देता कि ग्रेटर नगर निगम की जनता को परेशानी में छोड़कर आराम करें. अस्पताल में भी डिलीवरी के बाद जब होश आया तो सुबह कानों में 'स्वच्छ भारत का इरादा' गाने की पंक्तियां सुनाई दी. उनके सपने और इरादों दोनों में ग्रेटर नगर निगम को ग्रेट बनाने का लक्ष्य है.
महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए समान अवसर चाहिए महिला दिवस के मौके पर महापौर ने सभी को महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता. वहीं, ईटीवी भारत के साथ अपने सफर को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि नागौर के लाडनूं में उनका जन्म हुआ और बचपन में ही उन्होंने जेंडर इक्वलिटी पाठ पढ़ा. वो दो बहनें है, जब लोग उनके घर आते थे, तो यही कहते थे कि एक लड़का हो जाता तो बेहतर था. तब यही सवाल ज़हन में आता था कि आखिर लोगों में ऐसा भाव क्यों है, और विचार आया की महिला पुरुष में अंतर नहीं होना चाहिए. लड़कियां लड़कों से कम नहीं है, इस सोच को सार्थक करने के लिए उन्होंने पढ़ लिखकर पुरुषों से आगे निकलने का लक्ष्य रखा.
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उन्होंने कहा कि समाज की स्थिति ये थी कि जो लड़कियां स्कूल-कॉलेज में अच्छे नंबर लाती थी, उन्हें भी अपनी महत्वाकांक्षाओं को दबाकर गृहस्थ जीवन अपनाना पड़ता था. हालांकि जब शहरों का रुख किया तब समझ आया कि शहरी और ग्रामीण महिलाओं में शिक्षा और रहन-सहन का काफी अंतर है. शहरी क्षेत्रों में महिलाएं अपने अधिकारों को जानती हैं. जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में नहीं पता. उन्होंने कहा कि जब तक महिलाएं अपने अधिकारों के लिए खुद जागरूक नहीं होंगी, तब तक वो आगे नहीं बढ़ सकती.
घर के साथ-साथ महापौर की भी जिम्मेदारी निभाती सौम्या महात्मा गांधी के कथन एक पुरुष शिक्षित होगा, तो एक व्यक्ति शिक्षित होगा, लेकिन यदि एक स्त्री शिक्षित होगी तो पूरा परिवार शिक्षित होगा. इस पर सौम्या गुर्जर ने कहा कि महात्मा गांधी से पहले रामायण में राजा जनक ने माता सीता के लिए भी कहा था कि 'पुत्री तुमने दो कुल पवित्र कर दिए' पवित्र कुल से संदर्भ- उचित संस्कार और शिक्षा से है. उन्होंने कहा कि शहरी महिलाएं शिक्षित भी हैं. काम भी करती हैं. और आत्मनिर्भरता की और आगे भी बढ़ रही हैं. जबकि ग्रामीण महिलाओं की स्थिति अभी भी काफी नाजुक है. वो भी घर से बाहर ही नहीं निकलती. हालांकि डिजिटल इंडिया के तहत कुछ परिवर्तन जरूर आ रहा है. वो महिलाएं भी अब मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से नई-नई रेसिपी, बच्चों की परवरिश के बारे में इंटरनेट पर सर्च करती हैं. और जिले और देश के बारे में जानने लगी हैं. यहां तक कि 'प्रधानमंत्री मन की बात' तक सुनती हैं.
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महापौर ने बताया कि उनके पति भी राजनीतिक क्षेत्र में है और उनके दो बच्चे हैं ओमीशा और सोहम. महिला सम्मान, स्वाभिमान और प्रेरणा का नाम है. महिलाओं के ये मूलभूत गुण है. वो जिस क्षेत्र में जाती हैं, खुद को बेहतरीन साबित करती हैं. महिलाओं का माइक्रोमैनेजमेंट पुरुषों के पास नहीं है, और शायद पुरुष इसी बात से डरते हैं. महिलाएं यदि आगे निकल जाएंगी तो पुरुषों का क्या होगा, महिला यदि आगे बढ़ती है तो पुरुषों में अस्थिरता का भाव जागृत होता है. डॉ सौम्या गुर्जर ने कहा कि महिलाओं को समान अवसर की जरूरत है. अभी भी समाज में पुरुष वर्ग को ही प्राथमिकता दी जाती हैं. यदि महिला भी किसी क्षेत्र में पुरुषों के बराबर क्वालीफाई है, तो उन्हें आगे लेकर आना चाहिए. देश में जहां भी पॉलिसी बनती है, और अधिकारों की बात होती है, तो वहां भी महिलाओं की यदि भूमिका होगी तो महिलाएं आगे बढ़ेंगी. महिलाओं को आगे बढ़ाने में महिलाओं की ही भूमिका रहेगी.
बेटे को जन्म देने तुरंत बाद ही जुट गई काम में महापौर ने माना कि राजनीतिक क्षेत्र में भी यदि महिला शीर्ष स्तर पर पहुंचती है, तब लोगों को पीड़ा होनी शुरू हो जाती है और फिर महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका जाता है. यहां तक कि आत्मबल को भी कमजोर करने की कोशिश की जाती है. उन्होंने महिलाओं को महिला दिवस पर संदेश देते हुए कहा कि महिलाओं को कभी रुकना नहीं है, क्योंकि उनका सफर बहुत लंबा है. उन्हें इसे पूरे खुले आसमान को छूना है. महिलाओं को अपने बुलंद इरादों के साथ आगे बढ़ना है, और चुनौतियों का डटकर सामना करना है.