जयपुर. राजस्थान पहले ही ब्यूरोक्रेसी की कमी से जूझ रहा है. इस बीच आधा दर्जन आईएएस दिल्ली जाने की तैयारी में (Several IAS want to be posted in Delhi) है. एक के बाद एक आईएएस अफसरों के दिल्ली जाने के फैसले से प्रदेश में अनुभवी ब्यूरोक्रेसी का संकट फिर आने लगा है और सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर क्यों वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रदेश में काम नहीं करना चाहते?
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही सुशासन और वित्तीय प्रबंधन को लेकर खुद अपनी पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन जनघोषणाओं को धरातल पर उतारने वाली ब्यूरोक्रेसी ज्यादा खुश नहीं है. प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में गहलोत की प्रबंधन की पोल इसलिए भी खुल कर दिख रही है कि एक के बाद एक अनुभवी और सीनियर ब्यूरोक्रेट्स दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जता रहे हैं. तीन साल में एक दर्जन के करीब IAS का दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर जाना यह बताता है कि अपने तीसरे कार्यकाल के तीसरे साल में भी सीएम गहलोत ब्यूरोक्रेसी का विश्वास जीतने में असफल रहे हैं.
पढ़ें:गहलोत सरकार ने किया ब्यूरोक्रेसी में बड़ा बदलाव, 54 आरपीएस के तबादले...2 अधिकारियों को किया निलंबित
आधा दर्जन जाने की तैयारी में:आलम यह है कि पिछले तीन साल में करीब एक दर्जन आईएएस दिल्ली प्रतिनियुक्ति या गृह राज्य में जा चुके हैं और 6 आईएएस दिल्ली जाने के लिए प्रयास में लगे हैं. सबसे पहले बात करते हैं आईएएस अजिताभ शर्मा की. मुख्यमंत्री ने तीसरी बार सीएम बनने के बाद अजिताभ शर्मा को सीएमओ में पोस्टिंग दी, लेकिन प्रमोशन के बाद अजिताभ शर्मा सीएमओ से बाहर निकलते ही दिल्ली की राह पर निकल पड़े हैं. उनके साथ राजेश यादव, संदीप वर्मा, श्रेया गुहा का नाम जुड़ गया है. इन्होंने भी दिल्ली जाने की पूरी तैयारी कर ली है. बस अनुमति का इंतजार है. आईएएस राजेश यादव तो रिलीव हो गए हैं, जबकि अजिताभ शर्मा को केंद्र में नई पोस्टिंग का इंतजार है. इसके साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत और निर्वाचन विभाग के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता और कृष्ण कुणाल भी दिल्ली जाने का लम्बे समय से मन बनाए हुए हैं.