जयपुर. केंद्र सरकार देश भर में 1,742 ऐसे बच्चे बता रही है, जिनके माता-पिता इस कोरोना से खत्म हुए. इसमें राजस्थान में 157 की संख्या बताई गई है, जबकि राज्य सरकार के पास 500 ऐसे बच्चों की सूची है जो अनाथ हुए. इन आंकड़ों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब सरकार के आंकड़ों में गड़बड़ झाला है तो हकीकत में कितने बच्चों को लाभ मिलेगा.
कोरोना का कहर कुछ परिवारों पर ऐसा बरपा कि हंसता-खेलता परिवार बिखर गया. कुछ मासूम ऐसे भी हैं जिनके सिर से माता-पिता का साया सदा-सदा के लिए उठ गया, लेकिन इन मासूमों की निगाहें हर पल उन्हें तलाशती हैं. जिंदगी का ककहरा सिखाने वाले उनके माता-पिता अब कहां आने वाले हैं.
ऐसी ही दास्तां बयां करती हकीकत है जयपुर के बरकत नगर के 15 साल के बालक की. नाम और पहचान नहीं बता सकते, क्योंकि कानूनी बंदिशें हैं, लेकिन कोरोना का कहर की माता-पिता को कोरोना के संक्रमण ने निगल लिया. 15 मई को पिता और 24 मई को मां के निधन ने इस मासूम की जिंदगी को बेरंग कर दिया. माता-पिता की इकलौता संतान को बड़े लाड़ प्यार से पाला. कभी किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी, लेकिन आज दोस्त के घर रहने को मजबूर होना पड़ा रहा है. सरकार से मिलने वाली सहायता तो दूर किसी सरकारी नुमाइंदे ने अभी तक खेर खबर तक नहीं पूछी.
यह एक तस्वीर नहीं है, ऐसी प्रदेश में करीब 500 से ज्यादा तस्वीरें हैं. देश में हजारों की संख्या है उन बच्चों की, जिनके सिर से मां-बाप का साया उठ गया. देश में इन बच्चों की सुरक्षा और सरक्षण की जगह आंकड़ों पर सियासत चल रही है. केंद्र और राज्य सरकार के आंकड़े मैच नहीं हो रहे. ऐसे में इन मासूमों को मिलने वाली सहायता कहां से और कैसे मिलेगी. सामाजिक संगठन मांग कर रहे हैं कि इन मासूमों को तत्काल मदद के साथ इनकी सुरक्षा और सरक्षण की आवश्यकता है.
राज्य सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग-
सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल कहते हैं कि इन बच्चों को तत्काल संबल देने की जरूत अगर सरकार की तरफ से इन बच्चों को संभालने में देरी हुई तो यह बच्चे मार्ग से भटक सकते हैं. पूर्व बाल सरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी ने कहा कि यह वक्त आंकड़ों पर सियासत करने का नहीं है. इस वक्त बच्चों के लिए राज्य सरकार को तत्काल आर्थिक पैकेज की घोषणा कर इन बच्चों को लाभ दे.