जयपुर. झालाना लेपर्ड रिजर्व वन्यजीवों से गुलजार हो रहा है. झालाना जंगल में बघेरों का कुनबा बढ़ रहा है. साल 2021 में करीब 10 नए शावकों का जन्म हुआ है. झालाना लेपर्ड रिजर्व की शुरुआत के समय यहां करीब 20 लेपर्ड थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 41 हो गई है. नए शावकों की अठखेलियां पर्यटकों को रोमांचित कर रही है.
झालाना जंगल में बघेरा यानी लेपर्ड्स का कुनबा बढ़ाने के लिए वन विभाग की तरफ से भी विशेष इंतजाम किए गए हैं. यहां पर वन्यजीव के भोजन के लिए प्रेबेस बढ़ाने का भी लगातार प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही पानी के लिए जगह जगह पर वाटर पॉइंट बनाए गए हैं. झालाना प्रबंधन ने जयपुर और आसपास के क्षेत्र में दखल दे रहे लेपर्डस को फिर से वनों तक सीमित करके उनके कुनबे में इजाफा करने में सफलता हासिल की है.
झालाना लेपर्ड रिजर्व के रेंजर जनेश्वर चौधरी ने बताया कि साल 2021 में झालाना लेपर्ड रिजर्व के अंदर 10 नए शावक नजर आए हैं. साल 2018 में झालाना लेपर्ड सफारी की शुरुआत हुई थी. सबसे पहले जंगल को 6 फीट ऊंची दीवार से कवर किया गया, इसके बाद जंगल में जगह-जगह पर वाटर पॉइंट बनाकर वन्यजीवों के लिए पानी की व्यवस्था की गई.
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वहीं, झालाना लेपर्ड सफारी में शाकाहारी वन्यजीवों के लिए ग्रास लैंड डवलप की गई है. पक्षियों के लिए फ्रूट्स के पौधे लगाए गए है. झालाना जंगल में हैबिटाट इंप्रूवमेंट का काम किया गया है. जंगल से जूली फ़्लोरा को रिमूव करके फ्रूट के पौधे लगाए गए हैं. जंगल में घूमने के लिए अच्छे ट्रैक बनाए गए हैं. साल 2018 में जब झालाना लेपर्ड सफारी की शुरुआत हुई थी तो उस समय केवल 20 लेपर्ड थे. यह अच्छे मैनेजमेंट का ही नतीजा है कि आज झालाना लेपर्ड रिजर्व में करीब 41 लेपर्ड हो चुके हैं.
साल 2021 में इन लेपर्ड्स के जन्मे शावक
क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि वन्यजीव प्रेमियों ने सभी लेपर्ड्स के नाम रखे हुए हैं. साल 2021 में सबसे पहले फीमेल लेपर्ड एलके ने तीन शावकों को जन्म दिया. इसके बाद मिसेज खान के तीन शावक, बसंती के एक शावक, गजल के दो शावक और फीमेल लेपर्ड जलेबी के एक शावक जन्मा है. वाइल्ड लाइफर्स को जंगल में काफी रुचि रहती है, जब भी कोई नया शावक आता है तो उसकी फोटोग्राफ्स भी क्लिक करते हैं.
वन्यजीवों के लिए वाटर पॉइंट्स का निर्माण
रेंजर जनेश्वर चौधरी ने बताया कि जंगल में जगह जगह जहां पर भी वन्यजीवों का ज्यादा मूवमेंट रहता है, वहां पर वाटर पॉइंट बनाए गए हैं. पिछले साल भी 6 नए वाटर पॉइंट बनाए गए थे. साल 2019 में भी 6 वाटर पॉइंट बनाए गए थे. जंगल में जगह-जगह कैमरा ट्रैप लगाया गए हैं, जिस जगह वन्यजीव का ज्यादा आना जाना होता है, उस जगह पर वाटर पार्क बनाया जाता है. बाउंड्री वॉल करवाने के बाद वन्यजीवों के आबादी क्षेत्र में जाने की घटनाएं भी कम हुई हैं.
इन लेपर्ड्स की ज्यादा होती है साइटिंग
सबसे ज्यादा एडल्ट लेपर्ड्स की साइटिंग होती है. एडल्ट लेपर्ड्स में वाइल्ड का व्यवहार डेवलप हो जाता है. समय-समय पर लेपर्ड्स की साइटिंग भी बदलती रहती है. इन दिनों मेल लेपर्ड राणा ज्यादा नजर आ रहा है. राणा से पहले कजोड़ काफी दिखता था. कजोड़ से पहले लेपर्ड जूलिएट ज्यादा नजर आती थी. इसके साथ ही इन दिनों लेपर्ड बहादुर ज्यादा नजर आता है. फीमेल लेपर्ड में फ्लोरा सबसे ज्यादा दिखती है.
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बॉडी मार्क से होती है लेपर्ड्स की पहचान
साल 2018 में झालाना लेपर्ड सफारी शुरू होने के बाद कैमरा ट्रैप लगाने का काम शुरू किया गया. झालाना और गलता वन क्षेत्र में कैमरा ट्रैप लगाए गए. इसके अलावा नाहरगढ़ सेंचुरी में भी पांच कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं. कैमरा ट्रैप में रिकॉर्ड होने वाली फोटोज़ की स्टडी की जाती है. बॉडी मार्क के हिसाब से सभी लेपर्डस की अलग अलग पहचान की गई है. सभी लेपर्ड के बॉडी मार्क देख कर ही पता लगाया जाता है कि यह किस नाम का लेपर्ड है.