जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस मुख्यालय में पिछले 2 दिनों से 6 जिलों में होने वाले पार्टी प्रत्याशियों के चयन को लेकर बैठकों का दौर चल रहा है. लेकिन, इन बैठकों में सबसे प्रमुख बात कोई निकलकर आई तो वह यह थी कि टिकट जहां निर्दलीय, कांग्रेस समर्थित या बसपा से कांग्रेस में आये विधायक हैं, वहां टिकट किसके कहने पर दिया जाए.
गुरुवार को 4 जिलों की बैठक में तो यह मुद्दा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सामने भले ही किसी ने नहीं उठाया हो, लेकिन शुक्रवार को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने ही शाहपुरा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े मनीष यादव ने यह कह दिया कि कांग्रेस पार्टी इन चुनावों में निर्दलीय विधायकों के कहने पर टिकट नहीं बांटे, बल्कि 2018 में जो कांग्रेस के प्रत्याशी थे उनके कहने पर ही टिकट दिए जाएं.
मनीष यादव ने कहा कि हमने आज यह बात बैठक में उन निर्दलीय विधायकों के सामने ही प्रदेश अध्यक्ष से रख दी है. हमने अपना पक्ष रख दिया है, अब पार्टी नेतृत्व को यह तय करना है कि उनकी जिम्मेदारी केवल सरकार बचाना है या फिर संगठन को बचाना है.
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शाहपुरा से कांग्रेस के टिकट पर 2018 में चुनाव लड़ चुके मनीष यादव ने कहा कि पार्टी ने हमें 2018 में टिकट दिया था और हमने पूरी मेहनत से चुनाव लड़ा. हम चुनाव हार गए, लेकिन अब हमारी विधानसभा में जो हमारी स्थिति है वह सबके सामने है. उन्होंने कहा कि हमारे साथ हमारी विधानसभा में दुर्व्यवहार हो रहा है. 2018 में चुनाव लड़े कार्यकर्ताओं को सरकार में भी कोई स्थान नहीं मिला और संगठन में भी हमें कोई स्थान नहीं मिल रहा है. आज भी हमने प्रदेश अध्यक्ष के सामने यह बात रखी है कि पंचायत चुनाव के टिकट देने का काम अपने प्रत्याशियों से ही पार्टी करवाए, क्योंकि कांग्रेस पार्टी ने 2018 में हम पर भरोसा जताया था.