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कोरोना से जंग में अपना इस प्रकार से सहयोग दे रहा यह परिवार, लोगों के लिए बना प्रेरणा

एक तरफ जहां पूरे देश में कोरोना वायरस ने हाहकार मचा दिया है, वहीं इस जानलेवा वायरस के संक्रमण से बचने के लिए रामबाण बने मास्क, सैनिटाइजर की कमी से पूरा देश जूझ रहा है. हालात ये हैं कि आम लोग तो दूर स्वास्थ्यकर्मियों के पास भी अपने बचाव के लिए मास्क उपलब्ध नहीं है. लेकिन कहते है ना जहां चाह, वहां राह. इसी बात को साबित किया है जयपुर के इस माहेश्वरी परिवार ने. ये परिवार हर दिन 200-300 मास्क तैयार करके जरूरतमंदों को बांट रहा है.

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चौमू में महेश्वरी परिवार तैयार कर रहा मास्क

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Published : Apr 2, 2020, 12:23 PM IST

जयपुर.कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते पूरे प्रदेश में लॉकडाउन के हालात हैं. हर कोई अपने घरों में रहकर इस कोरोनावायरस से लड़ने में अपनी भूमिका निभा रहा है, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो घरों में रहकर भी कुछ ऐसा करते हैं. जो पूरे समाज के लिए मिसाल बनता है. हम बात कर रहे हैं चोमू के महेश्वरी परिवार की जिसमें महिला-पुरूष मिलकर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए मास्क तैयार कर रहे हैं.

चौमू में महेश्वरी परिवार तैयार कर रहा मास्क

हर दिन तैयार करते हैं 200-300 मास्क

यह परिवार हर दिन करीब 250 से 300 कपड़े के मास्क तैयार करता है. जिन्हें जरूरतमंदों को बांट दिया जाता है. ना केवल चौमू बल्कि आसपास के गांव में भी यह मास्क फ्री में बांटे जा रहे हैं. जिसमें वह पुलिसकर्मी भी शामिल है, जो नाकाबंदी में लगे हैं, तो शेल्टर होम में आए उन प्रवासी मजदूरों तक भी यह मास्क पहुंचाए जा रहे हैं. ताकि लोगों की जान बचाई जा सके.

इस परिवार लोग रोजाना करीब 6 घंटे तक मास्क बनाने का काम करते हैं. जिन्हें इसी परिवार के पुरुष कीबोर्ड संस्थान के साथ मिलकर पूरे चौमूं कस्बे में बांट रहे हैं, तो इसके साथ ही अब यह मास्क आस-पास के गांव में भी वितरित किए जाएंगे.

पहले सिर्फ 100 मास्क होते थे तैयार

माहेश्वर परिवार बताता है कि पहले तो रोजाना 100 मास्क ही तैयार हो पाते थे, लेकिन अब करीब 300 मास्क रोजाना यह तैयार कर लेते हैं. इस परिवार के सदस्यों का साफ कहना है कि अभी सभी लोग घर पर हैं. ऐसे में वह भी समाज की किस तरीके से सेवा हो सके उसके लिए यह प्रयास कर रही हैं.

इंटरनेट से सीखा मास्क बनाना

मास्क बनाना भी इन्होंने इंटरनेट से देखकर ही सीखा है. इसके लिए इन्होंने एक मास्क पहले खरीदा और उसे देख कर ही कपड़े के मास्क तैयार करने शुरू कर दिए. हालांकि इस काम से इनके परिवारों के काम भी प्रभावित होता है, लेकिन क्योंकि देश की सेवा सबसे जरूरी है इसलिए यह पहले इस काम में जुटे हैं.

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