जयपुर/ नई दिल्ली. बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर BJP विधायक मदन दिलावर की SLP पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को कल तक के लिए स्थगित कर दिया. याचिका में दिलावर ने मांग की है कि BSP के 6 विधायकों को मतदान से रोका जाए वरना अपूरणीय क्षति होगी. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने रविवार शाम को वाद सूची जारी की थी.
भाजपा विधायक मदन दिलावर के लिए हरीश साल्वे को सलाह
साल्वे- अयोग्यता का मुद्दा एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित है। उन छह विधायकों ने अब एक स्थानांतरण याचिका में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. लेकिन उस याचिका को अभी तक सूचीबद्ध नहीं किया गया है। विधानसभा का सत्र 14 अगस्त से शुरू हो रहा है. मामले की सुनवाई होनी चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी के विधायक मदन दिलावर ने एसएलपी में हाईकोर्ट की खण्डपीठ के 6 अगस्त के आदेश को चुनौती दी है और 14 अगस्त को शुरु होने वाले सत्र को ध्यान में रखते हुए BSP से कांग्रेस में आए 6 विधायकों को सदन में मतदान से रोकने की प्रार्थना की है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायाधीश कृष्ण मुरारी की बेंच सुनवाई करेगी.
SLP में दिलवार की ओर से कहा गया है कि बसपा के विधायकों के कांग्रेस में विलय के विधानसभा अध्यक्ष के आदेश और इन विधायकों को मतदान सहित अन्य कार्य से नहीं रोका गया तो याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति होगी. इसमें यह भी कहा है कि पहले हाईकोर्ट की एकलपीठ से 30 जुलाई 2020 को इन विधायकों के विलय के आदेश पर रोक की मांग की गई थी. वहां से आदेश नहीं मिलने पर 6 अगस्त 2020 को हाईकोर्ट की खंडपीठ से इसी तरह की मांग की गई लेकिन दोनों ही जगह से रोक का आदेश नहीं मिल पाया.
यह भी पढ़ें.LIVE : सीएम आज लौटेंगे जयपुर, SC में मदन दिलावर की SLP पर आज हो सकती है सुनवाई
गौरतलब हो बसपा विधायकों के मामले में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 11 अगस्त को सुनवाई करेगी. खंडपीठ ने एकलपीठ से इसी दिन स्थगन प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर निर्णय देने को कहा है. अब हाईकोर्ट की एकलपीठ में मंगलवार को सुनवाई होगी.
BSP के 6 विधायक भी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट की शरण में
वहीं अब BSP के छह विधायकों ने भी इस मामले में 8 अगस्त को याचिका पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में लंबित अयोग्यता याचिका को वह खुद अपने पास स्थानांतरित कर ले. उन्होंने दलील दी है कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता पर सवाल उठाने वाली इसी तरह की याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं. इसलिए राजस्थान उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ दायर याचिका शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित की जानी चाहिए.