जयपुर. पश्चिमी और उत्तरी राजस्थान में हजारों पशुपालकों के लिए संक्रामक गांठदार त्वचा रोग लंपी अब परेशानी का सबब बन गया है. इस बीमारी के चलते राजस्थान में दो हजार से ज्यादा मवेशी काल का ग्रास बन चुके हैं. वहीं, बीते 3 महीने में लगभग 25,000 पशुओं में यह बीमारी फैल गई है. वहीं, केंद्रीय पशुपालन व डेयरी राज्यमंत्री संजीव बालियान ने मंत्रालय स्तर की टीम को राजस्थान भेजने के निर्देश दिए थे. उन्होंने सोमवार को ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी थी. केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट में बताया कि मंत्रालय ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की जा रही है. IPRI, NIHSD मंत्रालय FAHD के विशेषज्ञों और अधिकारियों की टीम राजस्थान पहुंच जाएगी. टीम में शामिल विशेषज्ञ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति का आंकलन करेंगे. साथ ही बीमार पशुओं व पशुपालकों को नुकसान नहीं हो, इसे लेकर समाधान निकालेंगे.
लंपी का शिकार, आंकड़ा दो हजार के पार : पाकिस्तान के रास्ते भारत आई खतरनाक और वायरल बीमारी 'लंपी' से राजस्थान में गौवंश की मौतों का आंकड़ा 2100 हो गया है. जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर सहित 10 जिलों में यह संक्रामक बीमारी (Deaths of Cows Due to Lumpy Disease in Rajasthan) कहर बरपा रही है. 40 हजार से ज्यादा गौवंश इसकी चपेट में आ चुके हैं. 90 प्रतिशत गायें इस बीमारी का शिकार होकर दम तोड़ रही हैं. बैल, सांड, भैसों में भी यह बीमारी फैल रही है. केवल लक्षणों के आधार पर इसका इलाज किया जा रहा है.
इस बीच प्रदेश स्तर पर एक टीम ने सोमवार को सर्वाधिक लंपी वायरस प्रभावित (Gehlot Government Action Plan for Lumpy Virus) जोधपुर और नागौर का दौरा किया. एडिशनल डायरेक्टर, हेल्थ डॉ. एनएम सिंह के मुताबिक जांच के लिए टीम गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जालोर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, सिरोही भी जाएगी. डूंगरपुर, बांसवाड़ा, उदयपुर, राजसमंद और गुजरात बॉर्डर से सटे जिलों में अलर्ट जारी किया गया है. वहां निगरानी रखी जा रही है. प्रदेश के मेडिकल एक्सपर्ट्स को अंदेशा है कि पाकिस्तान के पंजाब, सिंध और बहावलनगर के रास्ते होकर इसकी देश में फिर से एंट्री हुई है. इस बीमारी का कोई इफेक्टिव इलाज भी मौजूद नहीं है. यह सबसे बड़ी चिन्ता की बात है.
पैर पसार रही है बीमारी : राजस्थान के पशु पालन विभाग से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि लंपी वायरस का शिकार 90 फीसदी गायों में यह बीमारी है. भैंस भी इसकी चपेट में आ रही हैं. रविवार को पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया की अध्यक्षता में हुई बैठक के दौरान बताया गया था कि मेडिसिन उपलब्ध करवाने के निर्देश सभी जिलों में दे दिए हैं. इमरजेंसी फंड में 1-1 लाख रुपये हर जिले को पहले ही दे दिया गया है. अलग-अलग जिलों में डिमांड के हिसाब से अब फंड दिया जा रहा है. जैसलमेर में 5 लाख रुपये और दिए गए हैं, सभी प्रभावित जिलों में टीमें लगा दी हैं. पड़ोसी जिलों से भी टीमें भेजी जा रही हैं. नोडल अधिकारी और कलेक्टर्स लगातार मीटिंग कर रहे हैं. पशुपालन मंत्री और सचिव ने सभी जिला कलेक्टर से खुद बात की है. कलेक्टर्स को मॉनिटरिंग रखने को कहा है.
यह लक्षण आ रहे हैं नजर : लंपी वायरस का शिकार होने के बाद गाय के पूरे शरीर पर नरम गोल गांठे पड़ जाती हैं. गाय दूध देना भी कम कर देती है. छाले फूटने के साथ ही संक्रमण और ज्यादा बढ़ जाता है. पूरे शरीर पर नाड्यूलर के रूप में यह नर्म गांठें फूटती रहती हैं और इनसे द्रव्य रिसता रहता है. इस घाव पर मक्खियां बैठकर इस वायरस को दूसरे पशुओं तक पहुंचा रही हैं, साथ ही प्रभावित पशु के संपर्क में आने से भी दूसरे पशु इसका शिकार हो रहे हैं.
केंद्र से मांगी गई मदद :भारत सरकार से डिजीज कंट्रोल प्लान के तहत राजस्थान ने पैसा मांगा है. स्वास्थ्य विभाग ने प्लान बनाकर केन्द्र को भेज दिया है. 2-3 दिन में अप्रूव करने का केंद्र ने वादा किया है. इस बीमारी में फिलहाल पशुओं की डेथ रेट 2 से 3 फीसदी तक है. इस सिलसिले में पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव पी. सी. किशन ने बताया था कि यह वायरस लोगों में नहीं फैलता है. इलाज के लिए पशुओं को एंटीबायोटिक्स के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं. सपोर्टिंव ट्रीटमेंट भी दे रहे हैं. बॉर्डर के पास होने के कारण वायरस पाकिस्तान से फैल सकता है. इन आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. कई पशुओं का मूवमेंट रहता है. गाय-भैंसों पर बैठने वाले पक्षी और मक्खियां भी बीमारी को बढ़ा रहे हैं.