जयपुर. प्रदेश में कोरोना की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन का असर बिजली की खपत पर भी दिखने लगा है. कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन की तुलना में इस बार के लॉकडाउन में बिजली की खपत राजस्थान में बढ़ी है, लेकिन मुनाफा देने वाली औद्योगिक इकाइयों में यह खपत बेहद कम है. जबकि घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा की जा रही खपत में तेजी से इजाफा हुआ है. जिसके चलते डिस्कॉम के राजस्व घाटा बढ़ने की आशंका बन गई है.
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बिजली सिस्टम लोड में 4000 मेगावाट की कमी
इस साल वर्तमान में चल रहे लॉकडाउन के लगने के बाद प्रतिदिन बिजली की खपत में 600 लाख यूनिट की कमी देखी गई है. खास तौर पर मई महीने में यह खपत ज्यादा गिरी है. लॉकडाउन के चलते प्रदेश में बाजार, दुकानें, मॉल बंद है. वहीं, सप्लाई नहीं होने से जो औद्योगिक इकाई भी कम कैपेसिटी पर चल रही है. कुल मिलाकर अभी रोजाना करीब 2011 लाख यूनिट की खपत हो रही है जबकि इसी साल फरवरी और मार्च में ये खपत 2600 लाख यूनिट से ज्यादा की थी. बिजली की खपत कम हुई तो सिस्टम का लोड भी 14131 मेगावाट से कम होकर 10746 मेगावाट ही रह गया.
खपत कम तो उत्पादन कंपनी ने कई प्लांट किए बंद
वहीं, बिजली की खपत कम होने के बाद विद्युत उत्पादन कंपनी ने 23 पावर जनरेटर प्लांट को बंद किया है. साथ ही मेंटेनेंस करने की प्लानिंग भी की जा रही है. जो पावर प्लांट बंद हैं, उनमें कोटा थर्मल के 7 में से 6 यूनिट बंद है. वहीं, सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट की 7 में से 6 यूनिट बंद है. इसी तरह छबड़ा पावर प्लांट की कुछ यूनिट में बिजली उत्पादन बंद किया गया है और कुछ जनरेटर प्लांट को बंद करने की प्लानिंग की जा रही है.
लॉकडाउन के दौरान बढ़ता है डिस्कॉम का राजस्व घाटा
गर्मी के मौसम में जहां बिजली की खपत बढ़ती है, लेकिन मौजूदा लॉकडाउन के चलते यह खपत सामान्य परिस्थितियों की तुलना में कम हुई है, जिससे डिस्कॉम को राहत मिली है. लेकिन लॉकडाउन में दुकान, प्रतिष्ठान और बाजार तो बंद है लेकिन घरों में बिजली का उपभोग बढ़ गया है. घरेलू उपभोग की बिजली दरें सामान्यता कम होती है जबकि औद्योगिक इकाई की अधिक होती है.
डिस्कॉम के लिए औद्योगिक इकाई में लगने वाली बिजली फायदे का सौदा होती है लेकिन ये इकाइयों पूरी क्षमता से काम नहीं कर रही. जिसके चलते इस बार भी लॉकडाउन का असर डिस्कॉम के राजस्व पर पड़ना तय है.