पटना/जयपुर.पिंडदान का प्रथम द्वार पुनपुन नदी है. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम ने माता जानकी के साथ पहला पिंड का तर्पण इसी पुनपुन घाट पर किया था. इसके बाद गया के फल्गु नदी पर पिंडदान का पूरा तर्पण विधि को संपन्न किया था. पटना जिले में स्थित पुनपुन नदी घाट को आदि गंगा भी कहा जाता है.
पटना का यह पुनपुन नदी घाट पर पिंडदान करने वाले श्रद्धालु लगातार पहुंच रहे हैं. पुनपुन नदी के घाट पर पहले पिंड का तर्पण किया जा रहा है. इसकी महत्ता के बारे में पंडित रामेश्वर ने बताया कि गया के प्रथम वेदी पुनपुन घाट को ही माना गया है. जो पिंड दानी पहले पिंड का तर्पण इस नदी घाट पर करते हैं, उसका ही गया के फल्गु नदी तट पर पिंडदान स्वीकार होता है. इसलिए जो भी पिंड दानी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं. वह सबसे पहले इसी पुनपुन नदी घाट पर अपना पहला पिंड का तर्पण करते हैं. इसके उपरांत ही गया जाकर फल्गु नदी तट के पर पिंडदान का पूरा तर्पण विधि संपन्न करते हैं.
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महर्षि चैवण्य के कमंडल के जल से पुनपुन का उदगम
वहीं, इस पुनपुन नदी के संबंध में पंडा समिति के अध्यक्ष विजय पंडित ने बताया कि पुराणों के अनुसार पलामू के जंगल में महर्षि चैवण्य तपस्या कर रहे थे. जहां उनके कमंडल से पुनः पुनः जल गिरने से पुनपुन नदी का उद्गम हुआ. इसके बाद इसे आदि गंगा भी कहा गया.