जयपुर.लोकसभा अध्यक्ष और कोटा से सांसद ओम बिरला शुक्रवार को जयपुर दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत भी की. जिसमें उन्होंने दल-बदल कानून और लव जिहाद के खिलाफ कानून सहित संसदीय कार्य प्रणाली से जुड़े विभिन्न विषयों पर अपनी बात रखी.
दल-बदल कानून और लव जिहाद के खिलाफ कानून पर बोले लोकसभा अध्यक्ष लव जिहाद के खिलाफ उत्तर प्रदेश में लाए गए कानून को लेकर छिड़ी सियासी बहस के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य की सूची में शामिल अधिकारों के तहत कुछ कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास है लेकिन कोई भी कानून बनाने से पहले हर राज्य अपने विधि विभाग से इसकी जानकारी लेता है और फिर कोई कानून बनाया जाता है. बिरला ने कहा कि कुछ कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास होते हैं तो कुछ केंद्र के पास और कुछ राज्य और केंद्र दोनों के संयुक्त सूची में होते हैं.
साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य अपने विभिन्न विशेषज्ञों और लॉ डिपार्टमेंट से राय लेकर ही कोई बिल लाता है लेकिन उस बिल पर भी न्यायिक समीक्षा करने का अधिकार न्यायालय को है. पत्रकारों से बातचीत के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दसवीं अनुसूची दल में शामिल बदल कानून को लेकर किए गए सवालों का भी जवाब दिया. बिरला ने कहा कि दसवीं अनुसूची में दल बदल कानून के तहत पिछली बार देहरादून के अंदर भी पीठासीन अधिकारियों की बैठक में सभी इस बात को लेकर एकमत थे कि पीठासीन अधिकारियों को इस मामले में असीमित अधिकार है.
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बिरला ने कहा कि हम किस तरीके से हमारे अधिकारों को सीमित करते हुए निर्माण और निष्पक्ष रूप से अपनी भूमिका निभा सके. इसके लिए पीठासीन अधिकारियों की बैठक में चर्चा हुई. बिरला के अनुसार राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है जो कई विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारियों से चर्चा भी कर रही है. उसकी रिपोर्ट आने के बाद यदि कानून में आवश्यक परिवर्तन की जरूरत होगी तो उस पर विचार करेंगे.
लोकतंत्र में तर्क वितर्क हो सकते हैं लेकिन हंगामा उचित-बिरला
पत्रकारों से बातचीत के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद और राज्य विधानसभाओं में हंगामे के बीच विधेयक पास होने पर भी चिंता जताई है. बिड़ला ने कहा यह दुर्भाग्य जनक है क्योंकि लोकतंत्र में तर्क वितर्क हो सकते हैं लेकिन हंगामा उचित नहीं. बिरला के अनुसार हर विधानमंडल की अपनी शक्ति होती है और कानून बनाने की प्रक्रिया भी होती है. बिरला के अनुसार चाहे विधानसभा हो या संसद आदर्श जनप्रतिनिधि सम्मान होना चाहिए और तर्क वितर्क के साथ विवाद भी होना चाहिए लेकिन हंगामे का इसमें कोई स्थान नहीं है.
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वहीं पत्रकारों से बातचीत के दौरान ओम बिरला कोरोना महामारी के दौरान संसद में वर्चुअल संवाद के प्रावधान पर भी बोले. उन्होंने कहा कि जब तक हम उसे कानून में परिवर्तन नहीं करते तब तक वर्चुअल संसद नहीं बुला सकते हैं. बिरला के अनुसार सभी दलों के नेताओं से इस बारे में चर्चा भी की जाएगी और सहमति बनेगी तभी काम होगा. हालांकि बिरला कहते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान कोरोना एडवाइस दरी की पालना करते हुए भी देश की संसद ने अपना काम किया और 25 विधेयक पारित भी किए गए हैं. बिरला ने कहा कोविड-19 महामारी के दौरान ही हमारे पीठासीन अधिकारियों का महासम्मेलन भी हुआ. ऐसे में देश भी चलता रहे और हम अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा भी करता रहे यह जरूरी है.