जयपुर.राजस्थान में विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस की सरकार बनने के बाद अगर सबसे ज्यादा चर्चा किसी बात की है तो वो है कि कांग्रेस का 'एक व्यक्ती एक पद सिद्धांत'. चुनावों के बाद कांग्रेस के कई पदाधिकारी विधायक और मंत्री बन गये हैं. ऐसे में लगातार बहस का विषय ये बन गया है कि क्या सत्ता में आसीन मंत्रियों को पार्टी का पद छोड़ना पड़ेगा. इसमें भी सबसे ज्यादा चर्चा में है प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट.
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उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद ये कयास लगाए जा रहे थे कि पायलट को पार्टी सिद्धांत के अनुसार प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. लेकिन इसी दौरान लोकसभा चुनाव आ गये. क्योंकि विधानसभा चुनाव में अध्यक्ष के तौर पर सचिन पायलट ने कांग्रेस को जीत दिलायी थी तो ऐसे में लोकसभा चुनावों में ना तो उनका कोई विकल्प नहीं था. खुद सचिन पायलट भी संगठन की कमान छोड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन राजस्थान में लोकसभा चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए बूरा सपना साबित हुआ. पार्टी ने 25 की 25 सीट हारी. इसके बाद एक बार फिर ये चर्चा उठी कि प्रदेश कांग्रेस के संगठन में बड़ा बदलाव होगा. और सचिन पायलट समेत सत्ता और पार्टी में दो पदों पर आसीन नेता कुर्सी से हटेंगे.
राजस्थान में पायलट के कंधो पर ही रहेगी निकाय ओर पंचायत राज चुनावों की जिम्मेदारी लेकिन अब ये लगभग साफ हो गया है कि निकाय और पंचायती राज चुनावों की जिम्मेदारी सचिन पायलट के कंधों पर ही रहेगी. ऐसे में ये साफ है कि वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहेंगे. क्योंकि पिछले 5 सालों से पीसीसी चीफ की कुर्सी संभाले पायलट ने पार्टी कार्यकर्ताओं में अपनी ऐसी पैठ बना ली है कि उनके सामने पार्टी को विकल्प नहीं मिल रहा है. वहीं पार्टी आगामी दोनों चुनावों में किसी प्रकार का खतरा मौल नहीं लेना चाहती. और ये चुनाव पायलट के नेतृत्व में ही कराए जाएंगे.
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अगर ऐसा हुआ तो सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक लगातार अध्यक्ष पद पर टिकने वाले अध्यक्ष बन जायेंगे. अभी सचिन पायलट, परसराम मदेरणा के बाद दूसरे नम्बर पर हैं. अगर पायलट निकाय और पंचायत राज चुनाव तक अध्यक्ष रहते हैं तो ये प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष की अबतक की सबसे लंबी लगातार पारी होगी. पायलट राजस्थान कांग्रेस के सबसे लम्बे समय तक अध्यक्ष बनने वाले नेता बन जायेंगे.
दरअसल परसराम मदेरणा 8 दिसम्बर 1989 से 25 नवम्बर 1995 तक अध्यक्ष रहे थे. उनका कार्यकाल 5 साल 11 महीने ओर 17 दिन का रहा था. वहीं वर्तमान अध्यक्ष सचिन पायलट 21 जनवरी 2014 को अध्यक्ष बने थे. पायलट का कार्यकाल अभी 5 साल और सात महीने का हो चुका है. अब निकाय और पंचायत चुनाव भी पायलट के नेतृत्व में होंगे, जिसका निर्णय एआईसीसी के स्तर पर हो चुका है. ऐसे में पायलट राजस्थान के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक अध्यक्ष बनने वाले नेता हो जायेंगे.
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अब तक ये रहा है राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्षों का कार्यकाल
1. गोकुलभाई भट्ट 28 जून 1948 से 11 जून 1949 तक
2. जय नारायण व्यास 12 जून 1949 से 10 मई 1951 तक
3. माणिक्य लाल वर्मा 11 मई 1951 से 22 अप्रैल 1952 तक
4. मास्टर आदित्येंद्र 23 अप्रैल 1952 से अगस्त 1956 तक
5. जय नारायण व्यास 1956 से 1957
6. शोभाराम 1956 से 1957
7. मथुरादास माथुर 1957 से 2 जनवरी 1958 तक
8. सरदार हरलाल सिंह 3 जनवरी 1958 से 1959 तक
9. मथुरादास माथुर 1960 से 11 मई 1962 तक
10. हरिदेव जोशी 12 मई 1962 से 21 मई 1966 तक
11. राम किशोर व्यास 22 मई 1966 से 23 सितंबर 1967 तक
12. नाथूराम मिर्धा 24 सितंबर 1967 से 23 सितंबर 1971 तक
13. लक्ष्मी कुमारी चुंडावत 24 सितंबर 1971 से 20 अप्रैल 1972 तक
14. गिरधारी लाल व्यास 21 अप्रैल 1972 से 6 अगस्त 1977 तक
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15. नाथूराम मिर्धा 7 अगस्त 1977 से दिसंबर 1977 तक
16. राम किशोर व्यास जनवरी 1978 से सितंबर 1980 तक
17. नारायण चौधरी अक्टूबर 1980 से 16 जुलाई 1982 तक
18. नवल किशोर शर्मा 17 जुलाई 1985 से 8 जून 1989 तक
19. अशोक गहलोत 18 सितंबर 1985 से 8 जून 1989 तक
20. हीरालाल देवपुरा 8 जून 1989 से 7 दिसंबर 1989 तक
21. परसराम मदेरणा 8 दिसंबर 1989 से 25 नवंबर 1995 तक
22. अशोक गहलोत 18 सितंबर 1995 से 14 अप्रैल 1999 तक
23. डॉ गिरिजा व्यास 15 अप्रैल 1999 से 16 जनवरी 2004 तक
24. नारायण सिंह 17 जनवरी 2004 से 12 अप्रैल 2005 तक
25. डॉक्टर बी डी कल्ला 13 अप्रैल 2005 से 24 सितंबर 2007 तक
26. डॉक्टर सीपी जोशी 25 सितंबर 2007 से 16 जून 2011 तक
27. डॉ. चंद्रभान 17 जून 2011 से 20 जनवरी 2014 तक
28. सचिन पायलट 21 जनवरी 2014 से अब तक