जयपुर. प्रदेश सरकार में चल रहे सियासी घमासान पर विधायक दल की बैठक के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी. गहलोत सरकार के पास भले ही 107 विधायक हों, लेकिन सचिन पायलट के 30 विधायकों के समर्थन के दावे ने सरकार का गणित बिगाड़ दिया है. यदि वास्तव में 30 विधायक सचिन पायलट के साथ हैं तो कांग्रेस का अपने बूते सरकार को बचा पाना मुश्किल है. समझिए पूरा गणित..
राजस्थान में कैसे बदलेंगे सियासी समीकरण! कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बगावती सुर के बाद अब हर किसी की नजर राजस्थान के उस सियासी गणित पर हो गई है, जो विधायकों से जुड़ी है। किस पार्टी के पास कितने विधायक हैं, सरकार बचाए रखने के लिए कितने विधायक जरूरी हैं यह बातें जानना जरूरी है. आइए एक नजर डालते हैं कि किस पार्टी के पास कितने विधायक हैं और कौन सी पार्टी क्या कर सकती है.
कांग्रेस
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के पास 107 विधायक हैं. इनमें छह विधायक वे हैं जो बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए थे.
भाजपा
राजस्थान में भाजपा के 72 विधायक हैं.
निर्दलीय 13
इन 13 निर्दलीय विधायकों में से सुरेश टांक, खुशवीर जोजावर और ओमप्रकाश हुडला अब कांग्रेस के साथ नहीं हैं. बाकी 10 विधायक खुद को कांग्रेस के साथ बता रहे हैं लेकिन ये सभी सत्ताधारी दल के साथ भी जा सकते हैं. ऐसे में जिसके साथ सत्ता होगी उसके साथ निर्दलियों का साथ रहेगा.
यह भी पढ़ें :BTP ने भी किया सीएम गहलोत से किनारा, कहा- हम किसी व्यक्ति विशेष के साथ नहीं पार्टी के साथ
आरएलपी ( राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी )
राजस्थान में आरएलपी के तीन विधायक हैं जो भाजपा के समर्थन में हैं.
आरएलडी ( राष्ट्रीय लोकदल )
आरएलडी के सुभाष गर्ग कांग्रेस के साथ हैं. वह मंत्री भी हैं और कल रात को भी मुख्यमंत्री आवास में थे लेकिन वोटिंग होती है तो देखना होगा की आरएलडी पार्टी के तौर पर क्या निर्णय लेती है. वैसे सुभाष गर्ग को मुख्यमंत्री का लॉयल माना जाता है.
यह भी पढ़ें :अल्पमत में आ गई गहलोत सरकार, हम बना रहे आगे की रणनीति: सतीश पूनिया
बीटीपी ( भारतीय ट्राइबल पार्टी )
राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायक हैं जिनमें से एक विधायक राजकुमार रोत जयपुर में हैं और उनका कहना है कि वह सरकार के साथ हैं ना कि किसी एक चेहरे के साथ. वैसे भी गुजरात में ये पार्टी भाजपा के साथ है, ऐसे में वोटिंग के समय यह भी पाला बदल सकती है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो विधायक हैं बलवान पूनिया और गिरधारी. राज्यसभा चुनाव में माकापा ने किसी को मतदान नहीं करने का व्हिप जारी किया था लेकिन बलवान पूनिया ने कांग्रेस को वोट दिया तो उन्हें 1 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. ऐसे में फ्लोर टेस्ट की आवश्यकता हुई तो वह किसके साथ जाएंगे यह भी सोचने की बात होगी.
यह भी पढ़ें :बड़ा फैसला: सियासी उठापटक के बीच राजस्थान के सभी बॉर्डर सील, राज्य से बाहर जाने के लिए पास जरूरी
ऐसे में आज 10.30 बजे होने वाली विधायक दल की बैठक में तय होगा कि कांग्रेस के पास कितने विधायक हैं. पार्टी ने व्हिप जारी कर आज विधायकों को मुख्यमंत्री आवास में होने वाली विधायक दल की बैठक में बुलाया है. कांग्रेस का दावा है कि अब तक 109 विधायकों ने उन्हें समर्थन दिया है. ऐसे में साफ है कि इन 109 में निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं. इसका मतलब इसमें कांग्रेस के विधायक कम हैं और जिस तरीके से सचिन पायलट 30 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं, उस हिसाब से तो अब सरकार बने रहने का गणित बदल चुका है. अगर निर्दलीय और अन्य पार्टियों को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस का अंकगणित समझना जरूरी है.
कांग्रेस पार्टी के कुल 107 विधायक हैं, इनमें से छह बसपा से कांग्रेस में आए हैं ।अब 107 में से 30 का दावा सचिन पायलट कर रहे हैं तो फिर 77 विधायक कांग्रेस पार्टी के पास बचे हैं. अगर 30 विधायक इस्तीफा देते हैं तो बहुमत के लिए 170 विधायकों में से 86 बहुमत का आंकड़ा होगा. और अगर कांग्रेस के खुद के 86 मेंबर विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे तो फिर भाजपा प्रदेश में फ्लोर टेस्ट की डिमांड करेगी. इसके बाद बाकी विधायकों के समर्थन से ही राजस्थान में सरकार बच सकेगी.
पढ़ेंःराजस्थान में सियासी उठापटक के बीच सिंधिया का ट्विटर वार, पायलट को लेकर कही ये बात
भाजपा के प्रदेश में 72 विधायक हैं और अगर 30 विधायक सचिन पायलट के साथ हैं और वह इस्तीफा देते हैं तो ऐसे में बहुमत के आंकड़े से भाजपा भी दूर है. लेकिन भाजपा के साथ आरएलपी सीधे जुड़ी हुई है ऐसे में 75 की संख्या भाजपा के पास खुद की है. ऐसे में निर्दलीय बीटीपी आरएलडी अगर भाजपा के साथ आ जाते हैं तो सत्ता में भाजपा भी हो सकती है. ऐसे में अब सब कुछ निर्भर करता है आज की विधायक दल की बैठक में जिसमें कांग्रेस के विधायकों की हेड काउंटिंग जरूरी होगी.