जयपुर.राजस्थान आज एक बार फिर देश की राजनीति में बाड़ेबंदी के केंद्र के रूप में सामने आया है. असम में कांग्रेस की सहयोगी पार्टी एआईयूडीएफ के विधानसभा प्रत्याशियों को चुनावी नतीजे आने से पहले ही खरीद-फरोख्त के डर से कांग्रेस शासित राजस्थान के होटल फेयरमाउंट में शिफ्ट कर दिया गया है, जो अब चुनावी नतीजे आने के बाद ही राजस्थान से वापस असम जा सकेंगे.
बता दें, शुक्रवार दोपहर बाद इंडिगो के चार्टर विमान से एआईयूडीएफ के 18 प्रत्याशियों समेत कुल 20 नेताओं को राजधानी जयपुर लाया गया. इन विधायक प्रत्याशियों को इतना गुपचुप तरीके से जयपुर लाया गया कि किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. सभी प्रत्याशी जयपुर के उसी होटल फेयरमाउंट में रोके गए हैं, जहां राजनीतिक उठापटक के समय राजस्थान कांग्रेस के विधायकों को रोका गया था.
बीते डेढ़ साल में राजस्थान समेत 5 राज्यों की सियासी बाड़ाबंदी
जब से प्रदेश में गहलोत सरकार बनी है, तब से कांग्रेस शासित और गैर कांग्रेस शासित राज्यों के कांग्रेस विधायकों के लिए राजस्थान पॉलिटिकल टूरिज्म का प्रमुख केंद्र बन गया है. हालांकि, यह पहली बार है कि किसी गैर कांग्रेसी दल के नेताओं को राजस्थान में खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए लाया गया है. राजस्थान में गहलोत सरकार के समय सियासी बाड़ेबंदी की शुरुआत नवंबर 2019 में हुई जब महाराष्ट्र के विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए जयपुर के ब्यूना विस्ता रिसॉर्ट में लाया गया. इसके बाद जब कांग्रेस शासित मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद हिचकोले खाने लगी तो सभी मध्यप्रदेश कांग्रेस के विधायकों को राजधानी जयपुर के उसी रिसॉर्ट ब्यूना विस्ता और ट्री हाउस में रखा गया.
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वहीं, फरवरी महीने में ही गुजरात के विधायकों को भी जयपुर के शिव विलास में रखा गया. दूसरों की सियासी बाड़ाबंदी की मेजबानी कर रही गहलोत सरकार को अपने ही विधायकों के बगावती रुख इख्तियार करने के बाद कांग्रेस और समर्थक विधायकों को भी जुलाई महीने में पहले जयपुर के इसी फेयर माउंट रिसॉर्ट में रोका गया और फिर उन्हें जैसलमेर के सूर्यगढ़ में शिफ्ट किया गया. उसके बाद अब असम के एआईयूडीएफ विधायक प्रत्याशियों को राजधानी जयपुर लाया गया है. ऐसे में अब कहा जा रहा है कि असम कांग्रेस के विधायक प्रत्याशियों को भी जल्द ही राजधानी जयपुर शिफ्ट कर दिया जाएगा, ताकि अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आते दिखाई देते हैं, तो किसी तरीके की खरीद-फरोख्त ना हो सके.
सियासी बाड़ाबंदी में कहीं नतीजे सकारात्मक, तो कहीं नकारात्मक
- महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक
नवंबर 2019 में महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायकों को तोड़फोड़ और खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए जयपुर के ब्यूना विस्ता रिसॉर्ट में पॉलिटिकल टूरिज्म के लिए लाया गया. उस पॉलिटिकल टूरिज्म का नतीजा सकारात्मक निकला और बाद में कांग्रेस के सहयोग से महाराष्ट्र में सरकार बनी.
- मध्यप्रदेश कांग्रेस विधायक
फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के चलते कांग्रेस के मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार हिचकोले खाने लगी, तो तत्कालीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी राजस्थान और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत याद आए. यही कारण था कि उन्होंने अपने समर्थक विधायकों को राजस्थान भेजा. हालांकि, राजस्थान में सफलतापूर्वक सियासी बाडाबंदी होने के बावजूद मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बचाने में नाकामयाब रही.
- गुजरात कांग्रेस विधायक
फरवरी 2020 में गुजरात कांग्रेस के विधायकों को जयपुर के शिव विलास रिसॉर्ट में सियासी बाडाबंदी के तहत लाया गया, लेकिन इस बार मकसद सरकार बचाने का नहीं था बल्कि राज्यसभा में अपनी सीट बचाने का था. गुजरात विधायकों ने राजस्थान में बिना किसी परेशानी के पॉलिटिकल टूरिज्म किया, लेकिन कांग्रेस गुजरात में दो में से एक ही सीट राज्यसभा की बचा सकी.
- राजस्थान कांग्रेस विधायक