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विधि विभाग ने सही नहीं माना माइंस निदेशक को पावरलेस करना, सीएस ने भेजी सीएम को रिपोर्ट

प्रदेश की गहलोत सरकार में पर्यटन मंत्री के बाद अब खान मंत्री और अधिकारियों के बीच विवाद गहरा गया है. खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और निदेशक गौरव गोयल के बीच चल रही तकरार का मामला अब मुख्यमंत्री स्तर पर पहुंच गया है. विधि विभाग ने माइंस निदेशक को पावर कम करने के आदेश को सही नहीं माना है. साथ ही सीएस ने इस मामले की रिपोर्ट सीएम को भेज दी है.

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खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और निदेशक गौरव गोयल के बीच तकरार

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Published : Jun 30, 2020, 10:31 AM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार में पर्यटन मंत्री के बाद अब खान मंत्री और अधिकारियों के बीच विवाद गहरा गया है. खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और निदेशक गौरव गोयल के बीच चल रही तकरार का मामला अब मुख्यमंत्री स्तर पर पहुंच गया है. सरकार के लिए तकरार का समाधान निकालना कम चुनौतीपूर्ण नहीं है. खान विभाग द्वारा दी गई रिपोर्ट को मुख्य सचिव बीबी गुप्ता ने मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी है. ऐसे में अब इस पूरे मामले का फैसला मुख्यमंत्री स्तर पर ही होगा.

दरअसल मंत्री प्रमोद जैन भाया की ओर से विभाग के डायरेक्टर गौरव गोयल की खनन पट्टों के आवेदन स्वीकृत करने, अस्वीकृत करने और पट्टे ट्रांसफर सहित कई अधिकार छीनने के मामले में वित्त विभाग ने डायरेक्टर के अधिकार छीनने को गलत माना है. मुख्य सचिव एके गुप्ता ने मंत्री की ओर से जारी आदेश को वापस करने के लिए पूरी फाइल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेज दिए हैं.

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अब सीएम स्तर पर इसका कोई निणर्य होगा. खान मंत्री की ओर से निदेशक के अधिकार सीज करने के बाद खान विभाग के प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ने विधि विभाग से इस पर राय मांगी थी. विधि विभाग ने तुरंत अपनी राय खान विभाग को भेजते हुए मंत्री की ओर से जारी आदेश को गलत करार दिया था.

वहीं विधि विभाग की राय को प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता को भेजा था, जिस पर मुख्य सचिव ने अपनी सहमति देते हुए फैसला करने के लिए पूरी फाइल सीएमओ को भेज दी थी.

मंत्री ने इन पर लगाई थी रोक

  • अब निदेशक खनन पट्टों के आवेदन स्वीकृत और अस्वीकृत नहीं कर सकते. साथ ही ट्रांसफर की स्वीकृति भी जारी नहीं करेंगे.
  • खनन पट्टा क्वेरी लाइसेंस में किसी खनिज को जोड़ने की अनुमति नहीं दे सकेंगे.
  • अधिक शुल्क संग्रहण ठेके स्वीकृति और अस्वीकृत करने के लिए आदेश नहीं देंगे.
  • बिड को स्वीकृत और अस्वीकृत करने या बढ़ाने के आदेश नहीं दे सकेंगे.
  • किसी ठेकेदार को डिबार या ब्लैक लिस्ट नहीं कर सकेंगे.

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