जयपुर/मथुरा:होली मस्ती और मिलन का त्योहार है, देश भर में लोग होली की तैयारी कर रहे हैं. भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में भी लोगों पर होली का खुमार छाया हुआ है. मथुरा के बरसाना में होली का अलग ही अंदाज होता है. दूसरे शहरों में जहां होली रंग और पानी से खेली जाती है, वहीं मथुरा में रंग, गुलाल और पानी के अलावा फूल, लड्डुओं और लाठियों के साथ इस त्योहार को मनाया जाता है. बरसाना में आज के दिन यहां आये हुए लोगों पर लड्डू बरसाये जाते हैं. जिसे लड्डूमार होली करते हैं. इस लड्डूमार होली को देखने के लिए दूर-दराज से लोग यहां आते हैं और लड्डूमार होली का आनंद लेते हैं.
कैसे हुई बरसाना की प्रसिद्ध लड्डूमार होली की शुरुआत..? इसे भी पढ़ें-एक साल से बंद मथुराधीश, फाग उत्सव का आनंद नहीं ले पा रहे श्रद्धालु...सेवादारों के साथ होली खेल रहे भगवान
बरसाना में लड्डूमार होली
ब्रज में 40 दिनों तक होली का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, कहीं लड्डुओं की होली, तो कहीं फूलों की, कहीं लठमार होली तो कहीं रंग-बिरंगे गुलाल की. यहां पर बसंत पंचमी के दिन से होली की शुरुआत हो जाती है. जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु मथुरा पहुंचते हैं. राधा जी के धाम बरसाना में होली का उत्सव ही अलग होता है. यहां जो होली खेली जाती है वैसा आनंद कहीं और नहीं मिलता. यहां नंदगांव से होली खेलने लोग पहुंचते हैं.
आखिर क्यों मनाई जाती है लड्डूमार होली
ये राधा जी के समय से यह पंरपरा चली आ रही है. कहा जाता है कि जब नंदगांव से पंडित लट्ठमार होली का न्योता लेकर बरसाना पहुंचे, तो राधा रानी के पिता वृषभान ने लड्डू बटवाए थे. इसी खुशी में गोपियों ने एक-दूसरे पर लड्डू फेंके, तब से यह परंपरा चली आ रही है. इसलिए लट्ठमार होली से एक दिन पहले लड्डूमार होली खेली जाती है.