जयपुर. मुख्यमंत्री गहलोत ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्रम विभाग की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि आपदा के इस दौर में श्रमिकों को संबल देना हमारा दायित्व है. इसे लेकर राज्य सरकार चिन्तित है. दूसरी तरफ उद्योगों को पटरी पर लाने के लिए श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है. श्रम विभाग इसके लिए वे सभी प्रयास करे, जिनसे पीड़ा झेल रहे इन श्रमिकों को जल्द से जल्द राहत मिल सके. स्किल डेवलपमेंट के नए प्रोजेक्ट डिजाइन किए जाएं, जिनसे वर्तमान की जरूरतों के मुताबिक श्रमिकों का कौशल विकास हो सके.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में राजस्थान में प्रवासी श्रमिक आए हैं. यहां से श्रमिक अन्य राज्यों में गए हैं. श्रम विभाग आने वाले श्रमिकों की योग्यता और उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करें, ताकि ये श्रमिक उद्यमों में नियोजित होकर अपनी आजीविका अर्जन कर सकें. साथ ही श्रमिकों की अनुपलब्धता के कारण बंद बड़ी औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू हो सके. बैठक में पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव सूचना प्रौद्योगिकी अभय कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
श्रम कानूनों में किया जाए सुधार
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि लॉकडाउन के कारण उद्योग जगत का पूरा परिदृश्य बदल गया है. श्रमिकों के नियोजन की एक बड़ी चुनौती सामने है. ऐसे में समय की जरूरत के अनुसार श्रम कानूनों में परिवर्तन और सुधार की जरूरत है. उन्होंने श्रम विभाग की ज्यादा से ज्यादा योजनाओं एवं कार्यक्रमों को ऑनलाइन किए जाने के निर्देश भी दिए.
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श्रमिक कल्याण कोष के गठन को मंजूरी
मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रवासी राजस्थानी श्रमिकों के कल्याण के लिए बजट में घोषित ‘प्रवासी राजस्थानी श्रमिक कल्याण कोष‘ के गठन को भी मंजूरी प्रदान की. इस कल्याण कोष के माध्यम से प्रवासी राजस्थानी श्रमिकों को उनकी जरूरत के अनुरूप जरूरी मदद की जाए. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गरीब, जरूरतमंद और श्रमिकों के कल्याण के लिए जो भी योजनाएं संचालित हैं, मुसीबत के इस समय में उनके माध्यम से हरसम्भव सहायता उपलब्ध करवाई जाए. श्रम विभाग भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार यह भी सुनिश्चित करें कि कोई उद्यमी श्रमिकों को नहीं हटाए और उनका वेतन नहीं काटे.
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