जयपुर. देशभर के कृष्ण मंदिर में जन्माष्टमी की धूम मची है. ऐसे में जयपुर के मंदिरों में बुधवार रात 12 बजे कान्हा जन्म लेंगे और फिर ठाकुर जी का अभिषेक किया जाएगा. लेकिन छोटी काशी जयपुर में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां कृष्ण जन्म उत्सव दोपहर 12 बजे होता है और उसी दिन नंदोत्सव मनाया जाएगा. इस मंदिर में करीब 500 सालों से यह परंपरा चली आ रही है.
जयपुर में स्थित राधा दामोदर मंदिर छोटी काशी जयपुर को वृंदावन बनाने में आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर तो प्रधान हैं ही, लेकिन राजधानी के गोपीनाथ, राधा-विनोद और राधा दामोदर मंदिरों का भी महत्व कम नहीं है. खासकर राधा दामोदर मंदिर जिसका अपना इतिहास रहा है और एक परंपरा है जो यहां सदियों से चली आ रही है.
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शहर के चौड़े रास्ते स्थित राधा दामोदर मंदिर में 500 सालों से जन्माष्टमी पर दोपहर 12 बजे कान्हा का जन्म उत्सव मनाने की परंपरा है, जिसका इस बार भी निर्वहन किया जाएगा. हालांकि कोरोना महामारी के चलते इस बार मंदिर के पट भक्तों के लिए बंद रहेंगे.
कहा जाता है कि दामोदर ठाकुर जी के नटखट बाल स्वरूप हैं और जिस तरह बच्चों को देर रात तक नहीं जगाया जाता, उसी तरह दामोदर जी का भी दोपहर में अभिषेक कर शाम तक नंदोत्सव मनाने के बाद मंदिर का गर्भगृह मंगल कर दिया जाता है.
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दरअसल, राधा दामोदर जी की मूर्ति वृंदावन से तत्कालीन महाराजा सवाई जयसिंह के आग्रह पर जयपुर लाकर स्थापित की गई थी. राधा दामोदर के विग्रह के लिए कहा जाता है कि गोविंद विग्रह के प्राप्तकर्ता रूप स्वामी ने इसका रहस्य निर्माण किया और अपने भतीजे जीव गोस्वामी को सेवा पूजा के लिए सौंप दिया. तब से लेकर अब तक दोपहर 12 बजे ही यहां दूसरे मंदिरों से अलग जन्माष्टमी पर भगवान का अभिषेक होता है.