अंबाला/जयपुर. चीन से तनातनी के बीच पांच राफेल विमान की पहली खेप भारतीय वायुसेना को सौंपी जा चुकी है. इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीटर विमान शामिल हैं. ये विमान भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन नंबर 17 'द गोल्डन एरोज' में शामिल किए गए हैं. अंबाला स्थित एयरबेस को ये पांच राफेल विमान सौंपे गए हैं.
अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया?
अंबाला एयरबेस का भी अपना गौरवशाली इतिहास और बहादुरी के कई किस्से हैं. यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है. साथ ही अंबाला एयरबेस इकलौता एयरबेस है, जहां से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं तक महज 15 मिनट में पहुंचा जा सकता है और किसी भी युद्ध का अंजाम बदला जा सकता है.
इंडियन एयर फोर्स के एक्स सार्जेंट खुशबीर सिंह दत्त ने बताया कि अंबाला एयरबेस के बेड़े पर इन लड़ाकू विमानों को शामिल करने का काफी अधिक महत्व है. इससे पहले भी जितनी बार युद्ध हुए हैं हमेशा दुश्मन की सेनाएं अंबाला एयरबेस को ही टारगेट बनाती थी ताकि मिलिट्री को किसी भी तरह की वायु सेना की मदद न प्राप्त हो सके.
राफेल विमान की खासियतें
- दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में शुमार राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.
- ये विमान एक मिनट में 2500 राउंड फायरिंग की क्षमता रखता है.
- इसकी अधिकतम स्पीड 2130 किमी/घंटा है और ये 3700 किमी तक मारक क्षमता रखता है.
- इस विमान में एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जाया जा सकता है, जो कि पाकिस्तान के एफ-16 से 5300 किलो ज्यादा है.
- राफेल न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है. पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में भी ये खूबी नहीं है.
- हवा से लेकर जमीन तक हमला करने की काबिलियत रखने वाले राफेल में 3 तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल और तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा.