जयपुर. पतंग महोत्सव राजस्थान के सांस्कृतिक और लोकप्रिय उत्सव में से एक है. जिसे हिंदू त्योहार मकर सक्रांति के दौरान मनाया जाता है. जयपुर की इसी सांस्कृतिक विरासत का नजारा खासकर परकोटे में दिखता है. जहां मंगलवार को छतों पर फीणी, तिल और गुड़ के स्वाद के साथ शहर वासियों ने जमकर पतंगबाजी की.
शहर में घर से लेकर बाजार तक मकर सक्रांति पर्व का उल्लास देखने को मिला. मकर सक्रांति इस बार 2 दिन मनाई जा रही है. 14 जनवरी को पतंग उत्सव का उल्लास छाया रहा. वहीं 15 जनवरी को दान पुण्य का दौर चलेगा. इस बीच शहर के परकोटा क्षेत्र में शहरवासी छतों पर और उनकी पतंगे आसमान में नजर आईं. सूरज उगने के साथ ही छतों पर स्पीकर के तेज वॉल्यूम में गानों की आवाज और वो काटा-वो मारा का शोर भी सुनाई देने लगा.
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वहीं महिलाओं के हाथ से बनी फीणी, तिल-गुड़ और दाल की पकौड़ी का स्वाद भी चलता रहा. शहरवासियों की मानें तो इस दिन तिल गुड़ खाने का भी विशेष महत्व होता है. जिस तरह तिल और गुड़ एक साथ स्वादिष्ट लगते हैं, उसी तरह लोग भी आपस में मिलजुल कर जिंदगी का स्वाद बढ़ा सकते हैं. वहीं लोगों ने बताया कि पतंगबाजी का चलन जयपुर में प्राचीन समय से चलता आ रहा है. जिसके पीछे साइंटिफिक रीजन भी है. इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. ऐसे में सूर्य की किरणें शरीर के लिए लाभदायक होती हैं. यही वजह है कि दिन भर लोग छतों पर पतंगबाजी का लुफ्त उठाते हैं.
वहीं पतंगबाजी के दौरान मांझे के इस्तेमाल से सैकड़ों परिंदे भी इसकी जद में आकर घायल हो जाते हैं. ऐसे में इस बार चाइनीस मांझे पर भी नकेल कसी गई है और लोग भी पहले से ज्यादा जागरूक दिखें हैं.