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चना खरीद बंद होने से होगा 2102 करोड़ का घाटा, किसान महापंचायत ने PM और CM को भेजा ज्ञापन

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने समर्थन मूल्य पर चने की खरीद को लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा हैं. सरकार ने चना खरीद का जितना लक्ष्य रखा था, उसमें से 0.32 लाख टन चने की ही खरीद की संभावना हैं, जबकि अभी 21.02 लाख टन चना शेष बच गया हैं. अगर सरकार खरीद नहीं करेगी तो किसानों को घाटा होगा.

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किसान महापंचायत ने पीएम और सीएम को भेजा ज्ञापन

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Published : Jun 28, 2020, 10:10 PM IST

जयपुर.लगातार हो रही समर्थन मूल्य पर चने की खरीद के बावजूद अभी 21.02 लाख टन चना शेष बच गया हैं. बचे हुए समय में संभवतः इसमें से 0.32 लाख टन चने की ही खरीद की संभावना है. ऐसी स्थिति में किसान महापंचायत ने राज्य और केंद्र सरकार से किसानों के संपूर्ण चने की समर्थन मूल्य पर खरीद करने की मांग की हैं.

किसान महापंचायत ने पीएम और सीएम को भेजा ज्ञापन

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजकर किसानों के संपूर्ण चने की खरीद करने की मांग रखी हैं. साथ ही ऐसा नहीं करने पर आंदोलन की भी चेतावनी दी है. रामपाल जाट ने बताया कि समर्थन मूल्य पर यदि चने की खरीद बंद हो गई तो 2102 करोड़ रुपये का किसानों को घाटा होगा. जाट ने बताया कि इस संबंध में प्रदेश के सभी 25 लोकसभा सदस्यों को पत्र भेजकर किसानों से जुड़े इस आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया है.

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साथ ही केंद्र सरकार से भी इन सांसदों के जरिए आग्रह करवाया गया है, ताकि किसानों के चने की खरीद संपूर्ण हो सके. जाट ने बताया कि भारत सरकार की ओर से बनाए गए नियमों के अनुसार केंद्र सरकार तो संपूर्ण खरीद कर सकती है, किंतु उनके द्वारा बनाई गई एजेंसी नेफेड कुल उत्पादन में से अधिकतम 25 प्रतिशत ही खरीद कर सकती है. उसके अनुसार ही राजस्थान में खरीद का लक्ष्य 6.15 लाख टन तय किया गया है, जो कुल उत्पादन का 22.45 प्रतिशत है.

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राजस्थान में नेफेड के आधार पर चने की खरीद करती है. इस वर्ष 783 केंद्रों पर चने की खरीदी की गई है. लक्ष्य अनुसार चने की खरीद अब कभी भी बंद हो सकती है. भारत सरकार को प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान में से अधिकतम 25 प्रतिशत खरीद के प्रतिबंध को समाप्त कर संपूर्ण खरीद के प्रावधान करने की आवश्यकता है, अन्यथा भारत सरकार किसानों को होने वाले घाटे से बचाने का प्रयास करे.

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