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कृषि कानूनों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का उल्लेख न होना किसानों के लिए न्यायोचित नहीं: रामपाल जाट

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित करना अन्यायकारी है. प्रधानमंत्री न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को न्यायोचित मानते हैं, जिसकी घोषणा वे निरन्तर कर रहे हैं.

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Published : Oct 7, 2020, 8:56 PM IST

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रामपाल जाट ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना

जयपुर. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट हरियाणा के कुरुक्षेत्र में होने वाली देश भर के किसान संगठनों की कार्यशाला में भाग लेने के लिए बुधवार को रवाना हो गए. यह कार्यशाला गुरुवार को होगी. इस दौरान उन्होंने कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा.

रामपाल जाट ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना

उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित करना अन्यायकारी है. प्रधानमंत्री न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली को न्यायोचित मानते हैं, जिसकी घोषणा वे निरन्तर कर रहे हैं. उसके उपरांत उन्हीं की सरकार ने तिलहन एवं दलहन की उपजे मूंग, उड़द, अरहर, चना, मसूर, मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, कुसुम की कुल उत्पादन में से 75 प्रतिशत खरीद को न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि से बाहर कर दिया है और उस योजना का नाम भी प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान रखा है.

रामपाल जाट ने कहा कि केंद्र सरकार ने संरक्षण के नाम पर कुल्हाड़ी चलाने का कार्य किया है, जिससे प्रधानमंत्री की विश्वसनीयता सन्देह के घेरे में है. इस कारण उनकी मौखिक घोषणा पर किसानों को विश्वास नहीं हो रहा है. इसलिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाया जाना अपरिहार्य है. किसानों को उनकी उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य तभी प्राप्त हो सकेंगे, जब घोषित समर्थन मूल्य पर दाने-दाने की खरीद सुनिश्चित हो. इस कानून का प्रारूप किसानों द्वारा तैयार किया गया, जिसका नाम किसानों की सुनिश्चित आय एवं मूल्य का अधिकार विधेयक-2012 हैं.

पढ़ें-नए कृषि कानूनों में सुधार की जरूरत, कांग्रेस और बीजेपी इस पर राजनीति कर रही हैं : भारतीय किसान संघ

जाट ने कहा कि इसके आधार पर 8 अगस्त 2014 को एक निजी विधेयक को लोकसभा द्वारा सर्वसम्मति से विचारार्थ स्वीकार किया गया था, किन्तु अभी तक केंद्र सरकार ने उसके आधार पर कानून बनाने की कोई पहल नहीं की. अभी भी केंद्र सरकार के पास उचित समय है. जब इस प्रकार का कानून बनाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि अन्याय निवारण के लिए भारत की जनता न्यायालय पालिका के उपलब्ध विकल्प को ही श्रेष्ठ मानती है. इसके लिए शीघ्र, सुलभ एवं नि:शुल्क न्याय के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर कृषि न्यायालयों की स्थापना किया जाना सार्थक कदम रहेगा. इससे किसान न्याय प्राप्ति की परिधि से बाहर नहीं होंगे. वर्तमान में सरकार और किसानों के बीच टकराव को रोकने के लिए यह मार्ग उपयुक्त हो सकता है. जाट ने कहा कि गुरुवार को कुरुक्षेत्र में होने वाले भारत वर्ष के किसान संगठनों की कार्यशाला में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा.

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