जयपुर. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने सोमवार को जयपुर में एक प्रेस वार्ता की. रामपाल जाट ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर क्रय-विक्रय को रोकने और न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही नीलामी बोली शुरू करने के लिए (Rampal Jat Demanded Debt free Farmers) कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 और नियम 1963 में संशोधन किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि हालांकि कृषि बजट पेश हो चुका है, लेकिन जब मुख्यमंत्री बजट पर रिप्लाई देंगे तो हमें उम्मीद है कि उस समय वे किसानों के लिए कुछ अच्छी घोषणा करें. इसीलिए 2 मार्च को विधानसभा का घेराव किसान करेंगे. उन्होंने कहा कि 10 दिन में किसानों की कर्जमाफी की घोषणा (Farmer opinion on Rajasthan First Agricultural Budge) उन्हीं के हाइकमान ने सार्वजनिक रूप से की थी. किसान महापंचायत की ओर से मांग की गई कि न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन की भारित औसत लागत से कम से कम 50 फीसदी अधिक होना चाहिए.
इससे खेती किसानों के लिए आजीविका का महत्वपूर्ण नीतिगत साधन बन सकेगा और सभी किसानों की घर ले जाने वाली वार्षिक आमदनी सिविल कर्मचारियों से तुलना योग्य हो सकेगी. रामपाल जाट ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपज की खरीद न होने से किसान कम दामों पर अपनी उपज बेचने को विवश हैं. उन्होंने ऋण प्राधिकरण का गठन करने की भी मांग की, ताकि किसान ऋण को लेकर अपनी समस्याएं वहां रख सकें. जाट ने कहा कि कानून के तहत मूल से ज्यादा ब्याज वसूली नहीं की जा सकती, इसके बावजूद भी किसानों से अधिक वसूली की जाती है.
किसानों और कर्मचारियों की आय में है विषमता : रामपाल जाट ने बताया कि कर्मचारियों और किसानों की एक दिन की आय की तुलना की जाए तो इसमें काफी अंतर है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार के सचिव की 1 दिन की आय 11,300 रुपये है, वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की आय 1000 रुपये से अधिक है. लेकिन पांच व्यक्तियों के एक किसान परिवार की आय 36.20 रुपये ही है और यह आय (Rampal Jat Demanded to Make Law for Procurement on MSP) राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार मानी गई है.