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किसान महापंचायत की चना खरीद सीमा बढ़ाने की मांग - किसान महापंचायत

जयपुर में गुरुवार को किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंचे. जहां उन्होंने किसानों के हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चने की सीमा बढ़ाने की मांग रखी.

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चना खरीद की सीमा बढ़ाने की मांग

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Published : Aug 13, 2020, 9:25 PM IST

जयपुर. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट गुरुवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंचे. जहां कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चने खरीद की सीमा बढ़ाने की मांग की. नरेंद्र सिंह तोमर विधायक दल की बैठक में शामिल होने आए थे. रामपाल जाट के नेतृत्व में किसान चना खरीद की सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

चना खरीद की सीमा बढ़ाने की मांग

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट अपने साथी किसानों को लेकर भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंचे. यहां उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दलहन और तिलहन की खरीद में 25% तक प्रतिबंध हटाया जाए. इससे किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य प्राप्त हो सकेगा. उन्होंने कहा कि चना खरीद में 25% की सीमा में 55 हजार 250 मीट्रिक टन चना की खरीद और की जाए.

रामपाल जाट ने कहा कि कुल उत्पादन में से 25% का लक्ष्य चना खरीद के लिए मंजूर किया गया था. इसके अनुसार 6.71 लाख मीट्रिक टन चने की खरीद होनी चाहिए थी, लेकिन भारत सरकार की ओर से भूलवश खरीद की सीमा 6.15 लाख मीट्रिक टन अंकित कर दिया गया जो कुल उत्पादन का 22.93 फीसदी ही है.

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शेष 2.07 फीसदी के अनुसार 55250 मीट्रिक टन चने की खरीद और होनी चाहिए. व्यापारिक परंपरा है भूल चूक लेनी देनी, उसी के अनुसार भारत सरकार को त्रुटि में सुधार करना चाहिए ताकि किसानों से 55250 मीट्रिक टन अधिक चने की खरीद हो सके. जाट ने कहा कि यदि लक्ष्य में सुधार नहीं हुआ तो राजस्थान के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित रहना पड़ेगा और उन्हें बाजार मंडी में 1 हजार प्रति क्विंटल कम दाम मिलेंगे.

इससे उन्हें 55 करोड़ से ज्यादा का घाटा होगा. जाट ने कहा कि छोटी सी बात के लिए हम लगातार ज्ञापन दे रहे हैं और लड़ाई लड़ रहे हैं. 10 जुलाई से लगातार राज्य और केंद्र सरकार को ज्ञापन भी दिए जा रहे हैं. केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा विधायक दल की बैठक में व्यस्त होने के कारण किसानों को समय नहीं दे पाए. काफी इंतजार के बाद रामपाल जाट और किसान वापस लौट गए.

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