जयपुर.प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बाद अब केवल कांग्रेस ही नहीं, बल्कि किसान महापंचायत भी राज्यपाल से विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रही है. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने राज्यपाल को ईमेल के जरिए पत्र भेजकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया है, जिससे किसानों के 55 हजार 250 मीट्रिक टन चना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार की ओर से खरीदने का रास्ता बन जाए.
रामपाल जाट के अनुसार राजस्थान के 69 हजार 209 किसानो को चना, सरसों और गेहूं की उपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की बकाया 880.96 करोड़ रुपए एक महीने बाद भी प्राप्त नहीं हुई है. जाट ने बताया कि प्रदेश के किसानों की ओर से उत्पादित 20.70 लाख टन चनों की खरीद अभी तक नहीं हुई है.
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जाट के अनुसार बाजार एवं मंडियों में चना बेचने पर किसानों को 1000-1200 प्रति क्विंटल तक का घाटा उठाना पड़ा रहा है. इस घाटे से किसानों को बचाने के लिए 25 फीसदी के प्रतिबंध को हटाकर कुल उत्पादन में से 50 फीसदी तक चना की खरीद किया जाना अपरिहार्य है.
किसान महापंचायत अध्यक्ष ने बताया कि चना की खरीद 60 दिन में ही बंद कर दी गई, जबकि मार्गदर्शिका में 90 दिन खरीद का उल्लेख है. अभी खरीद अवधि 29 जुलाई है, जिसे एक महीने आगे बढ़ाया जाना आवश्यक है. राजभवन में ईमेल के जरिए भेजे गए पत्र में यह भी लिखा गया है कि अभी तक 25 फीसदी तक की स्वीकृत सीमा के अनुसार 2 लाख 95 हजार 546 पंजिकृत किसानों में से भी 58 हजार 315 किसानों की चनों की खरीद नहीं हुई है.
रामपाल जाट के अनुसार राजस्थान की 8 करोड़ जनता की भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए विधानसभा सर्वोत्तम मंच है. जहां इस विषय पर 200 विधायकों के मध्य चर्चा के उपरांत विधानसभा में संकल्प पारित किया जाकर किसानों के हितों के संरक्षण के लिए भारत सरकार को भेजा जा सकता है.
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जाट ने यह भी कहा कि किसानों के हितों के ऐसे विषय के अनुरोध के लिए राज्यपाल से समय चाहा गया था, लेकिन प्रतीत होता है कि राजनैतिक घमासान के लिए राजभवन को शिष्टमंडलों से मिलने का समय है, किन्तु इन सब के पेट पालन के लिए अन्न उपजाने वाले अन्नदाता के हितों के विचार के लिए राजभवन को चिंता नहीं है.
रामपाल जाट के अनुसार इसके लिए 26 और 27जुलाई 2020 को फोन पर बात की गई, लेकिन अब तक राजभवन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. इस कारण किसान महापंचायत की ओर से किसानों के हितों में राज्यपाल कालराज मिश्र को ई-मेल से पत्र प्रेषित किया गया है.