जयपुर. REET का पेपर बेचने वाले दलालों के चंगुल में फंसे टोंक जिले के लोकेश मीना की खुदकुशी को लेकर भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर जुबानी हमला बोला है. उन्होंने इसे सरकार की विफलता करार दिया है. साथ ही इस तरह दलालों के चंगुल में फंसे बेरोजगारों को मदद का भी भरोसा दिलाया है.
बेरोजगारों के रुपए दिलवाने में करेंगे मदद :घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि पता नहीं ऐसे और कितने जवान आत्महत्या करने पर मजबूर होंगे. यह सरकार की विफलता का परिणाम है. दलालों के चंगुल में फंसे बेरोजगारों को इस मुश्किल घड़ी में सहारा देते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह बेरोजगारों से जिसने भी रुपए लिए हैं. उनका नाम वे उन्हें लिखकर दें, बेरोजगारों के रुपए दिलवाने में वे पूरी मदद करेंगे.
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उन्होंने कहा कि REET में चीट से पीड़ित बेरोजगार बिना संकोच के पेपर बेचने वालों के खिलाफ FIR दर्ज करवाएं. पीड़ित का नाम गोपनीय रखा जाएगा. REET के अभ्यर्थियों को परीक्षा तैयारी के दौरान आवास, कोचिंग और अन्य खर्चों की भरपाई सरकार से करवाने की मांग रखी है. एक अनुमान के अनुसार, हर अभ्यर्थी के चार महीने में करीब 90 हजार रुपए खर्च हुए हैं. सभी अभ्यर्थियों को नकद भुगतान की मांग को लेकर आंदोलन की रूपरेखा बनाई जाएगी.
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किरोड़ी लाल मीणा ने सरकार से मांग की है कि REET में करीब 1.23 लाख अभ्यर्थियों के 140 से ज्यादा अंक आए हैं. उनका परिणाम सार्वजनिक किया जाए अन्यथा उनकी OMR शीट और अन्य प्रमाणों को खुर्द-बुर्द किया जा सकता है. उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग (Demand for CBI probe into REET paper leak) दोहराई है, ताकि बड़े सरगनाओं तक पहुंचा जा सके. साथ ही उन्होंने पेपर आउट करने वाले गिरोह को खत्म करने के लिए ठोस कानून बनाने की भी सरकार से मांग की है.
राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार को ठहराया दोषी :उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट कर कहा कि सत्ता के संरक्षण में रीट पेपर लीक प्रकरण में व्यापक स्तर हुए भ्रष्टाचार ने टोंक निवासी लोकेश मीणा की जान ले ली है. जिसकी दोषी सिर्फ गहलोत सरकार है. सुसाइड नोट में मृतक युवक ने बाड़मेर और जयपुर के दो बड़े पेपर माफिया से 40 लाख रुपए में प्रश्न पत्र खरीदने की बात कही है. राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रीट लेवल-2 की परीक्षा रद्द की है. भ्रष्ट सरकारी सिस्टम के शिकार युवाओं ने लाखों रुपए में पेपर खरीदा है. वे अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. न जाने अभी कितने अनगिनत युवा ऐसा कदम उठाने को मजबूर होंगे. यह आत्महत्या सरकार के माथे पर कलंक है.