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जांच अधिकारी और एफआर की अनुमति देने वाले डिप्टी सहित SP के खिलाफ कार्रवाई के आदेश

पुलिस हिरासत से अपहरण के आरोपी के फरार होने के मामले (Kidnap accused fled from police custody) में कोर्ट ने जांच अधिकारी और एफआर की अनुमति देने वाले जीआरपी वृत्ताधिकारी, डिप्टी एसपी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं. पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी को जब 28 फरवरी, 2021 को ट्रेन से लाया जा रहा था, तो फरार हो गया था. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद अभियुक्त की मौत होने के चलते पुलिस ने एफआर पेश कर दी थी.

Kidnap accused fled from police custody, court directs action against Deputy and SP
जांच अधिकारी और एफआर की अनुमति देने वाले डिप्टी सहित एसपी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश

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Published : Sep 9, 2022, 10:52 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर रेलवे मजिस्ट्रेट ने पुलिस हिरासत से आरोपी के भागने के मामले में जांच अधिकारी और एफआर को मंजूरी देने वाले अधिकारी जीआरपी वृत्ताधिकारी व पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीजीपी को आदेश दिए (Court directs action against SP) हैं.

अदालत ने कहा कि पुलिस जाब्ते के सदस्यों ने आरोपी के पुलिस हिरासत से भागना स्वीकार किया है. इसके बावजूद भी जांच अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों ने इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए एफआर पेश की है, जो कि स्पष्ट रूप से मिलीभगत और गंभीर लापरवाही का विषय है. अदालत ने डीजीपी को कहा है कि वह प्रकरण का अग्रिम अनुसंधान करवाकर रिपोर्ट अदालत में पेश करें. मामले के अनुसार पुलिसकर्मी सुखदेव ने अलवर जीआरपी में रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट में कहा गया कि हरमाड़ा थाने में युवती के अपहरण के मामले में वह कानपुर गया था. वहां गुमशुदा युवती अमन दीक्षित के साथ मिली. जिसे लेकर वे प्रयागराज से ट्रेन में रवाना हुए.

पढ़ें:आईजी ने कहा, 13 दिन में एफआर पेश करने वाले जांच अधिकारी को कर दिया निलंबित

रिपोर्ट में कहा गया कि 28 फरवरी, 2021 को सुबह ट्रेन डीग से रवाना होने के बाद परिवादी को नींद आ गई. वहीं अलवर में ट्रेन रुकी तो पता चला कि अमन दीक्षित ट्रेन से फरार हो चुका था. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने अभियुक्त की मौत होने के आधार पर एफआर पेश कर दी. एफआर पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि परिवादी और जाब्ते के सदस्य अश्वनी कुमार ने माना की आरोपी पुलिस अभिरक्षा से फरार हुआ है, जो कि आईपीसी की धारा 223 के अधीन आता है. इसके बावजूद भी इस तथ्य को नजरअंदाज करते हुए एफआर पेश की गई. जो स्पष्ट रूप से मिलीभगत और गंभीर लापरवाही का विषय है.

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