जयपुर.परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के समय में देश की जनता को 20 लाख करोड़ का पैकेज देने के नाम पर धोखा किया है. पैकेज आंकड़ों का मायाजाल बनकर रह गया.
इस पैकेज में गरीब, मजदूर बेरोजगार, नौजवान, मध्यमवर्गीय परिवारों के खातों में डायरेक्ट 15 से 20 हजार रुपए डालने की कोई योजना नहीं है. केंद्र सरकार को देश के 80 करोड़ लोगों के खाते में डायरेक्ट पैसा जमा कराना चाहिए था, जिससे पैसे का सदुपयोग होता और आम जनता को सीधा फायदा मिलता. देश के प्रवासी मजदूरों के साथ केंद्र सरकार ने भद्दा मजाक किया है.
पढ़ेंःपाली : वेतन नहीं मिलने पर कपड़ा मिल श्रमिकों का हंगामा, पुलिस पर पथराव
केंद्र सरकार ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को 2 महीने का राशन फ्री मिलेगा, लेकिन 2 महीने की बजाए देशभर के सभी प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड, आधार कार्ड या बिना किसी कार्ड के आधार पर हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं एवं 5 किलो चावल फ्री में आने वाले 1 वर्ष तक दिया जाना चाहिए था.
देश का कोई भी नागरिक गेहूं और चावल मांगे तो उसे प्रति व्यक्ति हर महीने 5 किलो गेहूं और चावल देना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी बनती है. खातों में डायरेक्ट पैसा डाल दिया जाता और प्रति व्यक्ति 5 किलो गेहूं और चावल दिया जाता तो इस देश में समस्याओं का बड़ा समाधान हो सकता था. लेकिन देश की सबसे बड़ी आबादी गरीब, मजदूर और मध्यमवर्गीय लोगों को केंद्र सरकार ने बड़े पैकेज से बिल्कुल अलग कर दिया है.
पढ़ें.जयपुर जेल में 5 कैदी मिले कोरोना पॉजिटिव, सिपाही के संक्रमित मिलने पर बदला गया थाने का पूरा स्टाफ
सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार ने पैकेज दिखने में बढ़ा दिया है, लेकिन कब और कैसे मिलेगा यह किसी को स्पष्ट नहीं है. केंद्र सरकार को शर्म आनी चाहिए पिछले कई दिनों से प्रवासी मजदूर पैदल चल रहा है. राजस्थान सरकार उनके खाने, रहने और बसों से जाने की व्यवस्था कर रही है लेकिन, केंद्र सरकार की ओर से इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
पूरे रास्ते में राजस्थान प्रदेश की सभी सड़कों पर मजदूरों को भोजन के पैकेट, ठहरने का स्थान और पांव में चप्पल और जूतों की व्यवस्था तथा बसों के जरिए छोड़ने की व्यवस्था की गई है, लेकिन केंद्र सरकार ने बड़े पैकेज के नाम पर देश की जनता के साथ धोखा किया है.