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कारगिल विजय दिवस: जयपुर के इस वन में उगे 52 पेड़ बयां करते हैं शहीद हुए कारगिल योद्धाओं की कहानी

मरुधरा के रणबांकुरों ने कारगिल की जंग में वीरता की वो कहानियां लिख दी, जो हिन्दुस्तान कभी नहीं भूल पाएगा. वर्ष 1999 में करीब दो महीने चले कारगिल युद्ध में राजस्थान के 22 सैनिक शहीद हुए थे. इन वीर सपूतों की स्मृति में साल 2016 में जयपुर के विद्याधर नगर में 'कारगिल शहीद स्मृति वन' बनाया गया, जिसमें प्रदेश के हर एक बलिदानी के नाम से एक पेड़ लगाया गया है.

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कारगिल शहीद स्मृति वन

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Published : Jul 26, 2021, 11:25 AM IST

Updated : Jul 26, 2021, 11:57 AM IST

जयपुर.26 जुलाई 1999 का वो दिन जब देश के जवानों ने शत्रु सेना के दांत खट्टे करते हुए अपना लोहा मनवाया और कारगिल युद्ध में विजय हासिल की. हालांकि इस युद्ध में देश के 527 जवान शहीद हो गए, लेकिन उनके बलिदान को राजधानी वासी भुला नहीं सके. इसलिए साल 2016 में जयपुर के विद्याधर नगर में बनाया गया कारगिल शहीद स्मृति वन, जिसमें प्रदेश के हर एक बलिदानी के नाम से एक पेड़ मौजूद है.

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कारगिल शहीद स्मृति वन में लगे अशोक, जामुन, क्रंच और अर्जुन का हर पेड़ कारगिल में शहीद हुए देश के जवानों की याद दिलाता है. फिर चाहे वीर चक्र से सम्मानित हवलदार शीशराम गिल हो या फिर वीर चक्र सम्मानित सूबेदार भंवरलाल भाकर, सेना मेडल विजेता सैनिक श्रवण सिंह शेखावत हो या जाट रेजीमेंट के लेफ्टिनेंट अमित भारद्वाज.

शहीदों की स्मृति में बनाया 'कारगिल शहीद स्मृति वन'

इस युद्ध में देश के 527 शहीदों में 52 राजस्थान के थे और 22 जवान अकेले झुंझुनू जिले के थे. इन वीरों को याद करने और श्रद्धांजलि देने के लिए ही साल 2016 में विद्याधर नगर में कारगिल शहीद स्मृति वन बनाया गया था. यहां लगा हर एक पेड़ प्राणवायु देकर उसी तरह लोगों की रक्षा कर रहा है, जिस तरह सीमा पर तैनात रहकर कारगिल के शहीदों ने देश की रक्षा की थी.

शुरुआत में ये क्षेत्र एक कचरा डंपिंग यार्ड था. यहां कचरा डालने के अलावा लोग खुले में शौच भी करते थे. क्षेत्रीय लोगों ने 2 महीने तक यहां श्रमदान कर पहले सफाई की और उसके बाद करीब 200 पेड़ यहां लगाए गए. लेकिन लोगों के सामने इन पेड़ों की संभाल करने की भी चुनौती थी क्योंकि यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में लोगों ने पैसा इकट्ठा कर पानी का टैंकर की व्यवस्था की, बाद में सरकारी मदद और क्षेत्रीय लोगों के सहयोग से यहां बोरिंग शुरू कराया गया. जिसका नतीजा ये रहा कि आज करीब 5 साल बाद यहां पेड़ों की नींव गहरी हो गई है और ऊंचाई करीब 12 से 15 फुट जा पहुंची है.

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स्मृति वन के केयरटेकर के अनुसार पार्क में नियमित आसपास के लोग स्वच्छ वातावरण में घूमने के लिए आते हैं. एक दिन छोड़कर यहां पेड़ों में बोरिंग से पानी डाला जाता है और प्रत्येक दिन सफाई भी की जाती है. वहीं, 2016 में तत्कालीन वार्ड पार्षद समता महेंद्र चौधरी के नेतृत्व में इस पार्क की शुरुआत की गई.

कारगिल शहीद स्मृति वन

पूर्व पार्षद पति महेंद्र चौधरी ने बताया कि उस दौर में क्षेत्रीय लोगों की टीम 10 बनाई गई. जिसने पहले ट्री एंबुलेंस चलाकर 5 किलोमीटर के क्षेत्र में निशुल्क पेड़ों की साज संभाल की. इस क्षेत्र को लेकर मिल रही स्थानीय लोगों की शिकायत का समाधान करते हुए इस बंजर जमीन को हरा-भरा करने का निश्चय लिया गया. पाकिस्तान पर भारतीय सेना की जीत और शहीदों की याद में इस जगह का नाम कारगिल शहीद स्मृति वन रखा गया और 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के मौके पर ही 5 साल पहले इसका उद्घाटन कराया गया.

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उन्होंने बताया कि देश का हर एक शहीद स्मरण योग्य हैं, लेकिन सभी 527 शहीदों के नाम नहीं मिलने की वजह से शुरुआत में राजस्थान के शहीद रणबांकुरों के नाम पर पेड़ लगाए गए ताकि आने वाली जनरेशन को भी उन जवानों का नाम और देश के प्रति उनका जज्बा याद रहे.

बहरहाल, कारगिल शहीद स्मृति वन में हर पेड़ को एक शहीद जवान के रूप में देखा जाता है और देश के जवानों की शहादत को याद करने का इससे बड़ा माध्यम और कोई नहीं हो सकता.

Last Updated : Jul 26, 2021, 11:57 AM IST

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