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कारगिल विजय दिवस: राजस्थान के इस जांबाज का किस्सा नहीं भूलेगा देश...पाक मेजर की गर्दन काट फहराया था तिरंगा

कारगिल विजय दिवस (Kargil victory day) पूरे देश के लिए गौरव का पल है. पाक पर मिली जीत देश के जवानों के साथ ही हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है. इस दिन को हम कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही इस जंग का हिस्सा रहे जवानों की जांबाजी को लेकर न केवल याद कर हैं बल्कि उत्साहपूर्वक मनाते भी हैं. सीकर के फौजी दिगेंद्र सिंह ने कारगिल की जंग में शौर्य और वीरता (story of Sikar soldier Digendra Singh) की ऐसी मिसाल पेश की थी जो जवानों के उत्साह को आज भी बढ़ा देता है. पढ़ें पूरी खबर...

story of Sikar soldier Digendra Singh
फौजी दिगेंद्र सिंह

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Published : Jul 26, 2022, 6:01 AM IST

Updated : Jul 26, 2022, 11:42 AM IST

जयपुर. कारगिल विजय दिवस (Kargil victory day) के मौके पर पूरा देश युद्ध में अपने देश सेवा में अपने वीर सपूतों को याद कर रहा है. इसी युद्ध में 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन विजय' को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. इस युद्ध में भारत के करीब पांच सौ जवान शहीद हुए थे. इस वॉर में सीकर जिले के नीमकाथाना में दयाल का नांगल गांव निवासी और रिटायर्ड फौजी दिगेंद्र सिंह (story of Sikar soldier Digendra Singh) का नाम हमेशा याद रखा जाएगा. दीगेन्द्र सिंह ऐसे जवान थे जिन्होंने 5 गोली लगने के बावजूद अपने लक्ष्य के मुताबिक कारगिल फतेह के लिए मिशन में पहली जीत की नींव रखी.

तोलोलिंग की पहाड़ी पहला मिशन
जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में तोलोलिंग की पहाड़ी पर मई 1999 को पाक सैनिकों ने घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था. श्रीनगर-लेह मार्ग के बीच तोलोलिंग ऊंचाई पर स्थित एक जगह है. कारगिल में जीत के लिए इस चोटी पर भारतीय सेना का कब्जा होना जरूरी था. इस जीत की रणनीति के लिए लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहिंदर पुरी को बुलाया गया था क्योंकि इसके पहले तोलोगिंग को घुसपैठियों से मुक्त करवाने में भारतीय सेना की 3 यूनिट पूरी तरह से असफल हो चुकी थी. एक यूनिट के 18, दूसरी के 22 और तीसरी यूनिट के 28 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. तो​लोलिंग फि‍र से प्राप्‍त करना इंडियन आर्मी के लिए चुनौती बन गई थी. इसके बाद इंडि‍यन आर्मी की राजपूत रायफल बटालियन को तोलोलिंग को मुक्त करवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई.

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बटालियन के द्रास पहुंचने पर आर्मी चीफ ने कमांडर कर्नल रविन्द्र नाथ से पूछा था कि ‘क्या उसकी बटालियन में कोई ऐसा फौजी है, जो तोलोलिंग की पहाड़ी पर तिरंगा फहराने का हौसला रखता हो’ यह सुनकर किसी भी फौजी की आवाज नहीं आई, लेकिन जवानों की पंक्ति सबसे पीछे मौजूद दि‍गेंद्र सिंह ने हाथ खड़ा किया और बोले- जय हिंद सर, कमांडो दिगेंद्र सिंह उर्फ कोबरा सेना मेडल सर. करगिल मिशन से पहले से कमांडो दिगेन्द्र सिंह ने ही हजरतवन में एक मिशन के दौरान बड़ी संख्या में उग्रवादियों का सरेंडर करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

1 जून 2019 को पूरी चार्ली कम्पनी ने तोलोलिंग पहाड़ी पर चढ़ाई के लिए आसान की बजाय दुर्गम रास्ते की तरफ कदम बढ़ा दि‍ए. दरअसल ऊपर चोटी पर बैठे पाक घुसपैठिये जब सामने के सीधे रास्ते पर गोलियां बरसा रहे थे। तब पीछे खड़ी पहाड़ी पर सैनिक एक दूसरे को रस्‍सी से बांधकर 14 घंटे की मशक्कत के बाद तोलोलिंग की पहाड़ी पर चढ़े. पहाड़ी पर चढ़ते ही पूरी योजना के साथ टुकड़ी ने पाकिस्‍तानी घुसपैठि‍यों पर हमला बोल दि‍या. दिगेंद्र घुसपैठियों के कैंप में घुस गए और कुल 48 घुसपैठियों को इस मिशन के दौरान ढेर कर दिया. लेकिन इस दौरान दि‍गेंद्र को सीने और शरीर से दूसरे हि‍स्‍सों में 5 गोलियां धंस गई थीं.

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पाकिस्तानी मेजर का मौत के घाट उतारकर लहराया था तिरंगा
तोलोलिंग की पहाड़ी पर कमांडो दि‍गेंद्र सिंह ने अपनी बहादुरी का परचम लहराया. दुश्मनों के खात्मे का सिलसिला यहां भी नहीं रुका. दिगेंद्र सिंह पाकिस्‍तानी दुश्‍मनों के बीच घुस गए. उन्‍होंने पाकिस्तानी मेजर अनवर का सिर काट दि‍या और उसमें तिरंगा फहराया दि‍या. उनके साथी सैनि‍कों ने जब यह दृश्य देखा तो उनके भी रोंगटे खड़े हो गए. कारगि‍ल युद्ध के बाद दिगेन्द्र सिंह को राष्ट्रपति डॉक्टर केआर नारायणन ने महावीर चक्र से नवाजा था. दिगेंद्र को इंडियन आर्मी का बेस्ट कोबरा कमांडो के रूप में भी जाना जाता है.

दिगेन्द्र के बाद तीन और भाई फौज में
कमांडो दिगेन्द्र सिंह परिवार में 6 भाई हैं. इनमें से चार ने भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी हैं. दिगेन्द्र सिंह से बड़े दो भाई पारंपरिक खेती का काम करते हैं, वहीं तीसरे नंबर वाले दिगेन्द्र ने भारतीय सेना को ज्वाइन किया. उसके बाद उनके तीन और भाइयों ने भी इंडियन आर्मी में ज्वाइन कर ली. उनका कहना है कि शेखावटी में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा माटी के कण-कण में है. ऐसे में हमारा परिवार भी देश के लिए हरदम तैयार है.

Last Updated : Jul 26, 2022, 11:42 AM IST

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