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जयपुरिया अस्पताल हुआ कोरोना से मुक्त, अब शुरू हुई सियासी श्रेय लेने की होड़ - राजकीय जयपुरिया अस्पताल

राजकीय जयपुरिया अस्पताल को कोविड-19 अस्पताल से बदलकर पहले की तरह सामान्य अस्पताल बना दिया गया है. सरकार के इस फैसले का सियासी फायदा लेने के लिए सियासी जंग शुरू हो गई है. इसी कड़ी में इस निर्णय को स्थानीय बीजेपी नेता कालीचरण सराफ ने इसे जनता के विरोध और उनके द्वारा सीएम को लिए गए पत्र का परिणाम बताया है.

Politics on Jaipuria Hospital, बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ
जयपुरिया अस्पताल हुआ कोविड-19 से मुक्त

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Published : May 7, 2020, 4:53 PM IST

जयपुर.राजकीय जयपुरिया अस्पताल को कोविड-19 के लिए डेडीकेटेड किए जाने के फैसले को सरकार ने वापस क्या लिया कि अब इसका सियासी श्रेय लेने की जंग शुरू हो गई है. स्थानीय भाजपा विधायक और पूर्व चिकित्सा मंत्री रहे कालीचरण सराफ सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहते हैं कि स्थानीय मोहल्ला विकास समिति और जनता के प्रखर विरोध और उनके द्वारा मुख्यमंत्री को बार-बार किए गए पत्र व्यवहार के चलते सरकार ने यह निर्णय लिया है.

जयपुरिया अस्पताल हुआ कोविड-19 से मुक्त

दरअसल सरकार के इस फैसले का सियासी फायदा सराफ की प्रमुख प्रतिद्वंदी रही प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा को ना मिल जाए, इसलिए कालीचरण सराफ ने यह बयान जारी किया है. सराफ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि क्षेत्र की जनता लगातार पिछले कई दिनों से सरकार से इस अस्पताल को कोरोना मरीजों और उसके उपचार से मुक्त कर सामान्य उपचार के लिए ही रखे जाने की मांग कर रही थी. जनता के प्रखर विरोध के कारण ही सरकार ने अपना निर्णय वापस लिया है.

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वहीं राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेत्री सुमन शर्मा ने भी सरकार के इस फैसले को स्थानीय जनता की जीत करार दिया है. विधायक कालीचरण सराफ ने जयपुरिया अस्पताल के चिकित्सकों को भी बधाई दी, जिन्होंने अपनी मेहनत से यहां भर्ती अधिकतर कोरोना पॉजिटिव मरीजों को स्वस्थ कर दिया.

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गौरतलब है कि राजकीय जयपुरिया अस्पताल को कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए डेडीकेटेड किए जाने को लेकर स्थानीय मोहल्ला विकास समितियों और इससे जुड़े लोगों में आक्रोश था. पिछले दिनों अपना विरोध जताने के लिए इन कॉलोनियों में रहने वाले लोगों ने अपने घरों के बाहर काले झंडे भी लगाए हैं. वहीं मोहल्ला विकास समिति और स्थानीय विधायक ने मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री को पत्र लिखे. जब सरकार ने अपना निर्णय वापस ले लिया है तो भाजपा विधायक और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है.

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