जयपुर.राजधानी में नगर निगम चुनाव का शंखनाद हो चुका है. जयपुर में हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम बनाए गए हैं, जिसमें अलग-अलग बोर्ड और महापौर चुना जाएगा. महापौर का चुनाव पार्षदों के द्वारा किया जाएगा, लेकिन जयपुर में एक बार महापौर का चुनाव डायरेक्ट इलेक्शन से भी हो चुका है. उस वक्त पहली बार कांग्रेस का महापौर चुना गया. ज्योति खंडेलवाल कांग्रेस की पहली महापौर बनीं. हालांकि उनका कार्यकाल इतना आसान नहीं रहा, जिसका बड़ा कारण बोर्ड बीजेपी का होना था.
ज्योति खंडेलवाल ने बताया कि राजस्थान की राजनीति का सबसे बड़ा इलेक्शन लड़ने का उन्हें सौभाग्य मिला और जनता ने उन्हें चुनकर महापौर बनाया. चूंकि जनता ने सीधे चुनकर उन्हें शहर का प्रथम नागरिक बनाय. ऐसे में जनता के प्रति जवाबदेही और बढ़ जाती है. हालांकि विपक्षी पार्टी का बोर्ड होने की वजह से उन्हें काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ा. लेकिन यही वो समय भी था, जब सर्वसम्मति से बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों की संयुक्त समितियां बनी और यही वो दौर था, जब शहर में सबसे ज्यादा विकास कार्य हुए. ऑपरेशन परकोटा चलाया गया और 16 हजार से ज्यादा पट्टे बांटे गए.
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हालांकि ये वो दौर भी था, जब मेयर और कमिश्नर के बीच सामंजस्य देखने को नहीं मिला. सबसे ज्यादा कमिश्नर भी इसी कार्यकाल में बदले हैं. इस पर ज्योति खंडेलवाल ने कहा कि अधिकारी से समन्वय स्थापित करने से बेहतर जनता के काम करना था और इसके लिए यदि अधिकारी को कुछ कहना पड़ रहा है, तो उसमें कुछ गलत भी नहीं. जहां तक कमिश्नर बदलने की बात है तो उनके कार्यकाल में तो कमिश्नर बदले, लेकिन बीते बीजेपी के कार्यकाल में तो तीन-तीन महापौर तक बदल गए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मेयर रहते हुए उन्होंने अपने ही डिपार्टमेंट में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज भी बुलंद की, और उसे अंजाम तक भी पहुंचाया.