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मौत के बाद मिला कर्मचारी को न्याय, 17 साल पुरानी बर्खास्तगी निरस्त - mbkko

राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में कनिष्ठ लिपिक की 17 साल पहले की गई बर्खास्तगी को गलत माना है. हालांकि फैसला सुनने के लिए याचिकाकर्ता अब इस दुनिया में ही नहीं है.

मौत के बाद मिला कर्मचारी को न्याय, 17 साल पुरानी बर्खास्तगी निरस्त

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Published : Jul 27, 2019, 9:06 PM IST

जयपुर. इसके चलते अदालत ने बर्खास्तगी से कर्मचारी की मौत की अवधि का आधा वेतन और अंतिम वेतन के आधार पर ग्रेच्युटी और अन्य परिलाभों का भुगतान उसकी पत्नी को करने के आदेश दिए हैं.

इसके साथ ही अदालत ने मृत कर्मचारी की विधवा को पेंशन परिलाभ देने और अनुकंपा नियुक्ति पर विचार करने को कहा है. न्यायाधीश एसपी शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता अशोककुमार शर्मा और बाद में मुकदमे को लड़ने वाली उसकी विधवा कमला की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को जेएनएन अस्पताल प्रशासन ने जून 1998 को निलंबित कर दिया था. वहीं दिसंबर 1999 में उसे पुन: निलंबित किया गया. इसके बाद 22 जनवरी 2002 को उसे बर्खास्त कर दिया गया. याचिकाकर्ता की ओर से बर्खास्तगी आदेश को चुनौती दी गई.

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याचिका के लंबित रहने के दौरान ही याचिकाकर्ता की मौत हो गई. इस पर उसकी विधवा ने मुकदमे को आगे बढ़ाया. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि कर्मचारी की बर्खास्तगी अवैध थी. इसलिए उस आदेश को निरस्त किया जाए. याचिका पर फैसला देते हुए अदालत ने कहा कि विभाग ने जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की है. याचिकाकर्ता को फरवरी 2002 तक वेतन दिया और बिना कारण बताए बर्खास्तगी 22 जनवरी 2002 को ही कर दी.

अदालत ने कहा कि कर्मचारी की मौत होने के कारण मामला पुन: जांच के लिए भेजने का कोई अर्थ नहीं है. ऐसे में बर्खास्तगी से उसकी मौत होने की अवधि का आधा वेतन और अन्य परिलाभ उसकी पत्नी को दिए जाए. इसके साथ ही अदालत ने बर्खास्तगी आदेश रद्द करते हुए कर्मचारी की विधवा को अनुकंपा नियुक्ति देने के लिए विचार करने को कहा है.

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