जयपुर. अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट नवंबर महीने के मध्य में मलकियत को लेकर अपना फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूरे देश की नजर है. रामजन्मभूमि आंदोलन से देश का एक बड़ा वर्ग जुड़ा रहा है. हर किसी को फैसले का इंतजार है. ईटीवी भारत ने इस पूरे मामले को लेकर वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा से बात की जो कि विवादित ढांचा गिरने के दौरान खास कवरेज कर रहे थे.
ईटीवी भारत पर राम जन्म भूमि मामले पर पत्रकार गोपाल शर्मा ने जानकारी देते हुए पूरे घटनाक्रम के बारे में बताया. साथ ही अब तक इस मसले पर क्या-क्या हुआ उसकी भी जनकारी दी. वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा राम जन्मभूमि को लेकर हुए आंदोलन सहित सरकारों का क्या रुख रहा इसकी जानकारी भी ईटीवी भारत के साथ साझा की.
बताया कि पूरा विवाद 1528 में शुरू हुआ. और यह विवाद काफी पुराना है. इसके लिए उन्होंने 'रामचरितमानस' से लेकर 'बाबरनामा' तक हर संदर्भ का उल्लेख किया. उन्होंने रामचरितमानस में राममंदिर का उल्लेख नहीं मिलने की बात का जवाब देते हुए कहा कि इसका जवाब महात्मा गांधी ने अपने एक वक्तव्य के जरिए बहुत पहले ही दे दिया था.
उनके मुताबिक महात्मा गांधी ने कहा था कि रामचरितमानस एक भक्तिग्रंथ है, कोई इतिहास का अंग नहीं. अत: उसमें वो लिखा है जो उस काल(मुगलकाल) को हजम हो जाए. साथ ही शर्मा ने यह भी कहा कि बाबरनामा में जो पन्ने गायब मिले, वो क्या है. वो किस ओर इशारा करते है.
राममंदिर के लिए संघर्ष सामाजिक या राजनीतिक-
मुलायम सिंह का जिक्र करते हुए गोपाल शर्मा ने कहा कि उन्होंने पूरे अयोध्या को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया. साथ ही मुलायम सिंह ने यह भी कहा कि अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा. लेकिन फिर भी पूरे देश से लोग वहां कारसेवा करने पहुंचे.
उन्होंने राजीव गांधी के एक इंटरव्यू का हवाला देते हुए कहा कि तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने कहा कि राममंदिर के लिए शिलान्यास पूजन रोकने का बूता केन्द्र सरकार के पास भी नहीं है. इससे यह साबित होता है कि यह आंदोलन सामाजिक आंदोलन था और एक बहुत बड़ा समाज इसके पीछे काम कर रहा था.
रथ यात्रा के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि वो जरूर भाजपा का प्लान था. लेकिन वो यात्रा इस मुद्दे पर थी कि 'राम का अस्तित्व अयोध्या से जुड़ता है. तो ऐसे में भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा था जो यह चाहता था कि राममंदिर बने, रथयात्रा के पक्ष में गया.