जयपुर. संयुक्त अभिभावक समिति की ओर से 31 अगस्त को स्कूल फीस माफ कराने के लिए राजस्थान बंद किया जाएगा. समिति की ओर से इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है. समिति ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो वो उग्र आंदोलन करेंगे. जयपुर शहर के व्यापार मंडलों और श्री राजपूत करणी सेना ने भी राजस्थान बंद को अपना समर्थन दिया है. संयुक्त अभिभावक समिति ने शनिवार को प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर ये जानकारी दी.
संयुक्त अभिभावक समिति ने 31 अगस्त को राजस्थान बंद का किया है ऐलान अभिभावकों का कहना है कि प्रदेश के निजी स्कूल संचालक अभिभावकों फीस मांगने के लिए दबाव बना रहे हैं. लॉकडाउन में कामकाज ठप होने और अभिभावकों के नौकरी पर नहीं जाने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब चल रही है. इस कारण अभिभावक स्कूल फीस देने में असमर्थ है. सरकार भी कह चुकी है कि जब तक स्कूल नहीं खुले, तब तक अभिभावकों से फीस नहीं ली जाए.
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अभिभावकों की मांग है कि या तो निजी स्कूल संचालक पूरी फीस माफ करें या फिर फीस में रियायत दें. इसी संदर्भ में संयुक्त अभिभावक समिति लगातार फीस माफ करने को लेकर प्रदर्शन कर रही है. राजस्थान बंद से पहले संयुक्त अभिभावक समिति ने जयपुर के सभी स्कूलों के सामने प्रदर्शन कर स्कूल संचालकों को फीस माफ करने के लिए निवेदन किया. अब 31 अगस्त को राजस्थान बंद का आह्वान किया गया है.
संयुक्त अभिभावक समिति के महामंत्री मनीष विजयवर्गीय का कहना है कि राजस्थान बंद को प्रदेश भर के 350 से ज्यादा व्यापारिक और सामाजिक संगठनों ने अपना समर्थन दिया है. जयपुर शहर के 100 से ज्यादा व्यापार मंडल भी बंद के समर्थन में हैं. सभी लोगों से कहा गया है कि ये स्वैच्छिक बंद है. किसी पर कोई जबरदस्ती नहीं है, जो भी चाहे वो अपने प्रतिष्ठान बंद रख सकता है.
वहीं, श्री राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने भी राजस्थान बंद को अपना समर्थन दिया है. उनका कहना है कि वो अभिभावकों के साथ हैं. किसी से भी जबरन बंद नहीं कराया जाएगा. जिस किसी की भी इच्छा है, वो अपने प्रतिष्ठान बंद रख सकता है और जो चाहे वो प्रतिष्ठान खोल सकता है. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि बंद को सफल बनाने के लिए अभिभावक और जनता आगे आएं.
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इसी तरह से जयपुर व्यापार मंडल के अध्यक्ष ललित सिंह सांचोरा ने भी कहा है कि सभी दुकानदार और बिजनेस करने वाले भी अभिभावक है.लॉकडाउन में व्यापार नहीं चलने के कारण उनकी भी आर्थिक स्थिति खराब है. फीस के अलावा भी व्यापारियों के कई खर्चे हैं, जबकि निजी स्कूल संचालक फीस के लिए दबाव बना रहे हैं. हम ये नहीं कहते कि स्कूल संचालक पूरी फीस माफ करें. लेकिन, निजी स्कूल संचालकों को फीस में रियायत जरूर देनी चाहिए.