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JLF 2020 में आया 9 साल का नन्हा लेखक अनय, लिख चुके हैं दो किताबें - 'टाइम एडवेंचर्स-द जैक्सन मेनेस'

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 9 साल के लेखक अनय सक्सेना का आकर्षण रहा. अनय ने 7 साल की उम्र से ही किताब लिखना शुरू कर दिया था. अब तक अनय दो किताबे लिख चुके है. जिसके लिए उन्हें कई अवार्ड भी मिल चुके हैं.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल, Author Anay Saxena
JLF 2020- 9 साल के लेखक ने लिखी दो किताब

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Published : Jan 25, 2020, 9:34 PM IST

जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन 9 साल के लेखक अनय सक्सेना का आकर्षण रहा. अनय ने 7 साल की उम्र से किताब लिखना शुरू कर दिया और अनय अब तक दो साल में दो किताबें लिख चुके हैं.

JLF 2020- 9 साल के लेखक ने लिखी दो किताब

अनय की पहली पुस्तक 'टाइम एडवेंचर्स-द जैक्सन मेनेस' थी. जिसमें एविन नाम का बच्चा आगे जाकर वैज्ञानिक बनता है और अपने परिवार के साथ संसार मे हुई दुखद घटनाओं को टाइम मशीन बनाकर ठीक करने का प्रयास करता है. इस दौरान उन्हें काफी परेशानी का सामना भी करना पड़ता है. इन सभी का बहुत खूबसूरत रूप से प्रस्तुतीकरण इस पुस्तक में किया गया है.

वहीं, दूसरी किताब 'व्हाट अ मिस्ट्रीयस वर्ल्ड वी लीव इन' पर है. जिसमें मैट विस्टन की ओर से फैलाई गई अफवाहों की खोज करने वाली तीन छोटी कहानियों का एक संग्रह है. कम उम्र में किताब लिखने को लेकर अनय को कई अवार्ड भी मिल चुके है.

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प्रेमचंद की कहानियों में सत्याग्रह की झलक : सारा राय

उधर, दरबार हाल में 'प्रेमचंद के फटे जूते' पर सेशन हुआ. प्रेमचंद के लेखन पर उनकी पोती सारा राय और लेखक अनिसुर रहमान ने अपनी बात रखी. प्रेमचंद की पोती सारा राय ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां दलित, गरीब और किसानों पर केंद्रित रही है. उनका आज के समय में भी उतना ही महत्व है जिस तरह उनकी कहानियों में सत्याग्रह की झलक मिलती थी. वो सत्याग्रह आज भी देखने को मिल रहा है. जिस तरह से लोग बिना डर के सड़कों पर उतर रहे हैं, यह सत्याग्रही है.

सारा ने बताया कि वह ऐसे लोगों से मिली है जिन पर प्रेमचंद की कहानियों ने छाप छोड़ी है. लेखक अनिसुर रहमान ने कहा कि प्रेमचंद का लेखन अकाल्पनिक और काल्पनिक दोनों का संयोजन है. उनके लेखन को किसी भाषा से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. प्रेमचंद ने हिंदी से पहले उर्दू में लिखना शुरू किया जिसे बहुत कम लोग जानते है. प्रेमचंद की 56 साल की उम्र में 1936 में मौत हो गई.

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उन्होंने इतना साहित्य लिखा जिसकी आज तक किसी को कोई जानकारी नहीं है, यह शोध का विषय है. प्रेमचंद और उनके साहित्य लेखन को किसी भाषा से नहीं जोड़ना चाहिए. प्रारंभिक शिक्षा एक मदरसे में मौलवी से उर्दू और फारसी की इसलिए उनकी कहानियों में बहुत सी चीजों का समायोजन देखने को मिलता है. 10 साल का लेखन उर्दू में किया था. उसके बाद हिंदी में लिखना शुरू किया. प्रेमचंद के लेखन सामाजिक और ग्रामीण परिवेश के साथ हर वर्ग का समावेश देखने को मिलता है. इस दौरान सारा राय ने लेखक अनिसुर की बातों पर सहमति जताते हुए कहा कि प्रेमचंद के साहित्य को सजाने के लिए पूरा लेख और संग्रहालय होने की जरूरत जताई.

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