जयपुर. पूरे देश में मंगलवार को जहां भारतरत्न विश्वेश्वरैया के जन्मदिन को अभियंता दिवस के रूप में मनया जा रहा है. वहीं राजस्थान के अभियंताओं में अपनी वेतन विसंगति को लेकर रोष है. इसी रोष के चलते राजस्थान के अभियंता ट्विटर पर 'जेईएन मांगे न्याय' हैशटैग चला रहे हैं. जेईएन ट्विटर पर इस तरह से अभियान चलाकर सरकार से वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं. मुख्यमंत्री के ट्विटर पर इसे टैग किया जा रहा है. ट्विटर पर इस तरह से अभियान चलाकर जेईएन उनकी ग्रेड पे 4800 देने की मांग कर रहे हैं.
अभियंताओं का कहना है कि चाहे कोरोना आया हो या कोई और विपत्ति, राजस्थान के अभियंता वर्ग स्वास्थ्य और जान की परवाह नहीं करते हुए राज्य की सेवा कर रहे हैं. इसके कारण ही बुरे से बुरे समय में भी बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं प्रदेश की जनता को निर्बाध रूप से मिल पाई है. पूरे भारत में राजस्थान के जेईएन की वेतन श्रंखला सबसे कम है. छठे वेतन आयोग के अनुसार जहां पूरे भारत में जेईएन को ग्रेड पे 4800 दी जा रही है. वहीं राजस्थान के जेईएन इससे 2 ग्रेड नीचे 3600 लेने को विवश हैं, जो कि थर्ड ग्रेड की सैलरी के अंतर्गत आती है.
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राजस्थान इंजीनियर एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष नंदराम गुर्जर ने बताया कि जेईएन वर्ग इस वेतन विसंगति को दूर करवाने के लिए 10 साल से संघर्ष कर रहा है. इन 10 सालों में कई सरकारें आईं पर आज तक किसी ने भी जेईएन की वेतन विसंगति दूर करने की जहमत नहीं उठाई. नंदराम गुर्जर ने बताया कि सामंत कमेटी के सामने जेईएन वर्ग अपनी समस्या तथा संपूर्ण भारत में तुलनात्मक रूप से राजस्थान के जेईएन की स्थिति विभिन्न यूनियन एसोसिएशन के माध्यम से बता चुका है.