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SPECIAL : जेडीए के प्रोजेक्ट धरातल पर आने के लिए थे तैयार, तभी हुआ कोरोना का वार

जेडीए के जो लंबित प्रोजेक्ट धरातल पर उतरने के लिए तैयार थे, जिन प्रोजेक्ट से लक्ष्मी बरसती, वो प्रोजेक्ट फिलहाल कोरोना की मार झेल रहे हैं. इन सभी प्रोजेक्ट्स में पहले ही कई चुनौतियां थी. जिन पर पार पाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन इस वैश्विक महामारी की दूसरी लहर ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है. पढ़ें पूरी खबर...

जेडीए के लंबित प्रोजेक्ट, JDA pending projects
जेडीए के प्रोजेक्ट पर हुआ कोरोना का वार

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Published : May 18, 2021, 2:17 PM IST

जयपुर. जयपुर विकास प्राधिकरण एंपावर्ड कमेटी के फैसलों को अमल में लाने से पहले ही कोरोना का साया मंडराने लगा. जेडीए के जो लंबित प्रोजेक्ट धरातल पर उतरने के लिए तैयार थे, जिन प्रोजेक्ट से लक्ष्मी बरसती, वो प्रोजेक्ट फिलहाल कोरोना की मार झेल रहे हैं. शहर के कई बड़े प्रोजेक्ट्स फिलहाल जेडीए के लिए चुनौती बन गए हैं.

जेडीए के प्रोजेक्ट पर हुआ कोरोना का वार

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शहर की राह आसान हो, लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए सरकार ने राजधानी में ट्रक टर्मिनल योजना, सेंट्रल स्पाइन, न्यू ट्रांसपोर्ट नगर और एलिवेटेड रोड जैसे प्रोजेक्ट को लेकर कमर कसी थी. लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन में एक बार फिर सब बंद हो गया.

इन सभी प्रोजेक्ट्स में पहले ही कई चुनौतियां थी. जिन पर पार पाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन इस वैश्विक महामारी की दूसरी लहर ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है. जयपुर विकास प्राधिकरण की वर्षों से लंबित चल रही योजनाओं का एंपावर्ड कमेटी की बैठक में समाधान निकाले जाने के बाद, पुराने प्रोजेक्ट्स पूरे होने से जेडीए के खजाने में 2000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व आने की संभावना है. लेकिन इसका इंतजार बढ़ गया है.

जयपुर विकास प्राधीकरण

वेस्ट वे हाइट्स योजना :

काश्तकारों के साथ बैठ समझौता बनाया गया. जिस पर एंपावर्ड कमेटी की बैठक में अनुमति दी गई. वेस्ट वे हाइट्स योजना का विवाद खत्म होने को है. फिलहाल 25 में से 11 पक्षकारों ने सहमति दे दी है. किसानों को जो 25 फीसदी जमीन मिलनी है, वो लॉटरी निकाल कर आवंटित की जानी है. जिस पर फिलहाल लॉकडाउन के चलते ब्रेक लग गया है.

लोहा मंडी योजना :

लगभग 130 हेक्टेयर जमीन पर बनने वाली इस योजना का जो मुख्य विवाद था, उसे एंपावर्ड कमेटी ने नीतिगत निर्णय लेकर उसका हल निकाल दिया है. इस योजना में भी 20+5 फीसदी विकसित भूमि का विकल्प देने का निर्णय लिया है. साथ ही जो 90 बी की योजना के अंतर्गत आने वालों को भी मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है. इस संबंध में अब योजना की रिप्लानिंग करने का काम किया जा रहा है.

कई बड़े प्रोजेक्ट्स जेडीए के लिए बने मुसीबत

सेंट्रल स्पाइन योजना :

रीको और जेडीए के बीच हुए एमओयू की शर्तों को दोबारा रिवाइज करने के लिए निर्देश हैं. कुछ शर्तों में भी संशोधन किया जाना है. जिसकी पीपीटी तैयार कर ली गई है और इसे जल्द राज्य सरकार को भिजवाया जाना है.

न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना :

करीब 100 से ज्यादा कंस्ट्रक्शन चल रहे हैं. जिनकी रफ्तार धीमी पड़ी है. दूसरे चरण के आवंटियों की राशि पर नीतिगत निर्णय लेकर एक सब कमेटी बनाई गई थी. जिसकी ग्राउंड रियलिटी जांच रिपोर्ट का इंतजार है.

सोडाला और झोटवाड़ा एलिवेटेड :

शहर के दो प्रमुख एलिवेटेड रोड का शहर वासियों को लंबे समय से इंतजार है. जिनका काम युद्धस्तर पर किया जा रहा था. लेकिन मजदूरों के पलायन से गति धीमी पड़ी है. हालांकि अभी भी सोडाला एलिवेटेड का काम 30 जून 2021 पूरा करने का दावा किया जा रहा है.

जबकि झोटवाड़ा एलिवेटेड में कालवाड रोड की तरफ 600 दुकानें एक बड़ा चैलेंज था. जिनका पुनर्वास करने के लिए स्क्रूटनी का काम अटक गया है. जेडीए का इसी वित्तीय वर्ष में झोटवाड़ा एलिवेटेड का काम भी पूरा करने का लक्ष्य है.

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वहीं ने कहा कि कोविड-19 पीरियड में कोरोना मैनेजमेंट में जेडीए प्राथमिकता से जुटा हुआ है. जेडीए के सभी अधिकारी जेडीए की ड्यूटी के अलावा कोविड-19 मैनेजमेंट का काम देख रहे हैं. लेकिन ये भी प्रयास किया जा रहा है कि डे टू डे वर्क और इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट का काम साथ-साथ चलता रहे. उनकी प्रोग्रेस में कोई इफेक्ट है ना पड़े. इसके लिए दिन में 3 से 4 घंटे अधिकारी जेडीए का काम करते हैं और बचे हुए हिस्से में कोविड वर्क करते हैं.

जेडीसी गौरव गोयल

उन्होंने कहा कि जो एंपावर्ड कमेटी के निर्देश, जेडीए से जुड़ी बजट घोषणाओं और इंपॉर्टेंट प्रोजेक्ट है सभी पर रिव्यू किया जा रहा है. कोविड की मजबूरी के चलते कुछ मीटिंग वर्चुअल की जा रही हैं. प्रयास यही है कि कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी, डेवलपमेंट वर्क और एंप्लॉयमेंट पर कोई नेगेटिव इफेक्ट ना आए. जहां तक विभिन्न योजनाओं को लेकर लगाए जाने वाले कैंप की बात है तो उन्हें फिलहाल स्थगित किया गया है.

बहरहाल, राजधानी में करोड़ों के इन प्रोजेक्ट पर लॉक डाउन और कोरोना का इफेक्ट पड़ा है. इस महामारी में मजदूर वर्ग भी पलायन कर रहा है. ऐसे में देखना होगा कि इन प्रोजेक्ट्स को दोबारा पटरी पर लाने में कितना समय लगेगा.

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