जयपुर.शहर से सोमवार को शुरू हुई जवाबदेही कानून यात्रा प्रदेश के अलग-अलग जिलों से होती हुई वापस 2 फरवरी को जयपुर लौटेगी. यात्रा से पूर्व जयपुर के शहीद स्मारक पर सामाजिक संगठनों ने सभा का भी आयोजन किया और सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया, जिसके बाद यात्रा शुरू की गई.
सामाजिक संगठनों की ओर से दूसरी जवाबदेही कानून यात्रा निकाली जा रही है. यात्रा सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय के नेतृत्व में शुरू हुई. यात्रा 45 दिन की अवधि में राजस्थान के 33 जिलों में जाएगी और 2 फरवरी को वापस जयपुर पहुंचेगी. राज्य सरकार की ओर से जवाबदेही कानून पारित हो, इसी उद्देश्य से यात्रा का आयोजन किया जा रहा है. जो कानून नागरिकों के प्रति सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करे और नागरिकों को उनकी शिकायतों को दर्ज करने एवं समय पर उनका निस्तारण करने का अधिकार दे. 50 कार्यकर्ता हर समय यात्रा के समय साथ रहेंगे.
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यह सामाजिक कार्यकर्ता संविधानिक, लोकतांत्रिक व मानवाधिकारों के क्रियान्वयन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कोविड, राशन, पेंशन, सूचना का अधिकार, खनन, सिलिकोसिस, पर्यावरण, दलित, आदिवासी, घुमंतु एवं अर्द्ध घुमंतु आदि मुद्दों पर जवाबदेही कानून की मांग करेंगे. यह जवाबदेही कानून आरटीआइ के रूप में आम नागरिकों को उनके पास मौजूद जानकारी पर कार्रवाई करने और अधिकारों की प्राप्ति के लिए सरकार से जवाबदेही की मांग करने का अधिकार देता है.
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक से सिविल लाइंस फाटक तक पैदल मार्च निकाला. इस यात्रा में निखिल डे, शंकर सिंह, कविता श्रीवास्तव ,आरडी व्यास, मुकेश, कमल टांक, निशा सिद्धू, सुमित्रा चोपड़ा आदि भी मौजूद रहे. जवाबदेही यात्रा एक बस और एक आरटीआई ऑन व्हील्स नाम की एक वैन से की जाएगी. इससे पहले 2016 में भी जवाबदेही कानून की जागरूकता लाने के लिए सभी 33 जिलों में 100 दिन की एक यात्रा निकाली गई थी, जिसमें 80 सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे.
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सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने बताया कि जवाबदेही कानून यात्रा हर जिले में जाएगी और वहां के लोगों, कलेक्टर और सत्ता के लोगों से बात करेगी. उस जिले की शिकायतों को लेकर भी अधिकारियों से संवाद किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जवाबदेही कानून पास होना ही चाहिए. प्रदेश में भ्रष्टाचार तो उजागर हो जाता है, लेकिन उसका समाधान नहीं होता.
अरुणा रॉय ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब एक नरेगा का मजदूर काम मांगने जाता है तो उसे काम नहीं मिलता है. सरकार काम देने वाले ग्राम सेवक सरपंच, बीडीओ के काम को नहीं देखती है कि क्यों नरेगा मजदूर को काम नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 2 फरवरी को जयपुर में ही इस यात्रा का समापन होगा और उस समय यहीं शहीद स्मारक पर बड़ी संख्या में लोग भी जुटेंगे.