जयपुर. प्रदेश की राजधानी में मकर सक्रांति की धूम मची हुई है, कहीं लाई-चिवड़ा की दुकानें सजी है तो कहीं पतंग के शौकीन लोग पतंग और मांझा की खरीदारी करने में व्यस्त नजर आ रहे हैं लेकिन मांझा पेंच लड़ाने पर सिर्फ पतंगे नहीं काटता है बल्कि पक्षियों से लेकर इंसान तक की गर्दन तक काट देता है. इसीलिए इस मकर संक्रांति ड्रैगन मांझे को बाय-बाय और देशी मांझे को खरीदने में शहरवासी रूचि दिखा रहे हैं.
खुशियों का त्योहार मकर संक्रांति अक्सर उड़ते बेजुबान परिन्दों के लिए मौत लेकर आता है लेकिन इस बार शहरवासियों ने जागरुकता दिखाई है. जिससे पक्षी खुले आसमान में स्वछंद उड़ान भर सके. कोरोना काल में लगे लॉकडाउन और घरों में कैद इंसानों ने बेजुबान पक्षियों की दशा भलीभांति समझ ली है. यही वजह है कि इस बार मकर संक्रांति पर चाइनीज मांझे का पूरी तरह से बायकॉट कर दिया है. यही नहीं दुकानदारों ने भी ड्रैगन मांझे की सप्लाई पूरी तरह से बंद कर दी है. जिसकी वजह से ना मार्केट में चाइनीज मांझा है और ना ही शहरवासी उसकी मांग कर रहे हैं. उसकी जगह देशी मांझे की खूब डिमांड है.
पतंगबाजी में रमे शहरवासी
हर साल मकर संक्रांति पर सैंकड़ों पंछी मौत की डोर चाइनीज मांझे का शिकार होते हैं. जिसकी वजह से तोता, कबूतर, चील और दूसरे पक्षी अकाल मौत को गले लगा लेते है. ज्यादातर मामलों में बेजुबान पक्षियों की गर्दन और पंख मांझे की चपेट में आने से वो हमेशा-हमेशा के लिए खुले आसमान में उड़ भी नहीं पाते. ऐसे में मकर संक्रांति को देखते हुए इस बार भी पतंगबाजी का शौक हर शहरवासी के सर चढ़ कर बोल राग है. पतंगों से पेंच लड़ाए जा रहे हैं और हर कोई अपनी पतंग को आसमान तक ले जाना चाहते हैं लेकिन ये शौक केवल इंसानों पर ही नहीं बल्कि बेजुबान पक्षियों पर भी भारी पड़ सकता है.