जयपुर. राजस्थानी ऐसा प्रदेश है, जिसका एक बड़ा भूभाग रेगिस्तान है. यहां पानी एक बहुत बड़ी समस्या है. यहां के लोगों को अक्सर पानी की समस्या का सामना करना पड़ता है. ईस्टर्न कैनाल को राष्ट्रीय दर्जा नहीं मिलने के कारण अब जलदाय विभाग एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है. जलदाय विभाग कालीसिंध नदी से बीसलपुर और ईसरदा बांध को भरने की तैयारी कर रहा है और यह कालीसिंध का पानी जयपुर सहित सात जिलों के लाखों लोगों की प्यास बुझाएगा.
सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर काम करना भी शुरू कर दिया है. इस प्रोजेक्ट पर सरकार के 4300 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे पूरा होने में 4 से 5 साल तक का समय लगेगा. कालीसिंध से आने वाले पानी से जयपुर, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, दौसा, अजमेर और टोंक जिलों के लाखों लोगों की प्यास बुझेगी. कालीसिंध नदी से 13.55 टीएमसी पानी मिलेगा. इसमें से बीसलपुर को 7.71 टीएमसी और ईसरदा बांध को 5.84 टीएमसी पानी मिलेगा. बीसलपुर का पानी ओवर फ्लो होकर मध्यप्रदेश की ओर व्यर्थ बह जाता है और इसे रोकने के लिए ईसरदा बांध का निर्माण किया जा रहा है. जिससे व्यर्थ बहने वाले पानी को बचाया जा सके.
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कालीसिंध नदी के पानी को 1.7 किलोमीटर लंबा पहाड़ी हिस्सा काट कर एक बैराज और 3 बांधों से होते हुए बीसलपुर और ईसरदा बांध तक लाया जाएगा. पहले केवल कोटा में नवनेरा बैराज ही बनना था लेकिन अब यहां से ही कैनाल और पाइप लाइन से 7 जिलों तक पानी पहुंचाया जाएगा. इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है. कोटा में नवनेरा बैराज का निर्माण चल रहा है और इसमें कालीसिंध नदी का पानी लाया जाएगा. यहां से बूंदी में इंदरगढ़ के पहाड़ी इलाके से होते हुए चाकन बांध में पानी पहुंचाया जाएगा. इस बांध से टोंक के कुम्हारिया बांध और गलवा बांध तक पानी लाया जाएगा. यहां से ईसरदा बांध और बीसलपुर बांध तक पानी पहुंचेगा. इसके लिए इंद्रगढ़ की पहाड़ी में लगभग 1. 7 किलोमीटर लंबी टनल बनाई जाएगी. चंबल नदी को पाइपलाइन के जरिए पार कराया जाएगा.