जयपुर. साइबर ठगों ने भी ठगी करने का अपना ट्रेंड बदल दिया है. लोगों को नए-नए तरीकों से अपने जाल में फंसाते हैं और ठगी का शिकार बनाते हैं. कभी लॉटरी का झांसा देकर, तो कभी ऑनलाइन शॉपिंग में कैशबैक ऑफर का लालच देकर लोगों से लाखों रुपये ठग लिए जाते हैं. साइबर ठगों के चंगुल में न केवल अनपढ़, बल्कि कमोबेश पढ़े लिखे भी फंस जाते हैं. राजस्थान में ठगी के अनेक मामले हर रोज सामने आ रहे हैं, जिसमें ऑनलाइन भुगतान, कैशबैक ऑफर या फिर एयरलाइन टिकट के रिफंड का झांसा देकर लाखों रुपए का चूना लगाया जा रहा है. पीड़ित व्यक्ति को जब तक ठगी का अहसास होता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है.
साइबर एक्सपर्ट ने बताया कैसे ठग बुनते हैं ठगी का जाल... साइबर ठग इस तरह बुनते हैं ठगी का जाल...
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज के मुताबिक, हनी ट्रैप जिसे की टेक्निकल भाषा में सोशल इंजीनियरिंग कहा जाता है. हनी ट्रैप यानी मीठा जाल. अधिकांश मामलों में महिला एजेंट अपनी मीठी बातों में उलझाकर ग्राहक को जाल में फंसाती है. उन्हें कैशबैक देने का झांसा देते हैं. कैशबैक के लालच में लोग ठगों के झांसे में बड़ी आसानी से आ जाते हैं और कैशबैक पाने के लिए अपने बैंक खाते संबंधित जैसे अकाउंट नंबर, डेबिट, क्रेडिट कार्ड जैसी तमाम जानकारी ठगों को बता देते हैं. जैसे ही तमाम जानकारी यूजर द्वारा ठगों को दी जाती है, वैसे ही उनके खाते से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कर लिया जाता है.
हनी ट्रैप में फंसते लोग... लापरवाही का शिकार...
आयुष भारद्वाज का कहना है कि ज्यादातर लोग विभिन्न ऑनलाइन एप पर शॉपिंग करने के दौरान अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल को सेव कर देते हैं. साइबर ठग सेव क्रेडिट या डेबिट कार्ड को हासिल कर लेते हैं और उसके खाते से रुपयों का ट्रांजैक्शन कर लिया जाता है. कई प्रकरणों में सामने आया कि साइबर ठगों द्वारा फर्जी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट बनाकर उसमें लोगों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल सेव करवाई गई और फिर उनके खातों से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कर लिया गया.
रिफंड/कैशबैक के नाम पर ठगी का खेल... रिफंड के नाम पर ठगी का खेल...
आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग एयरलाइन टिकट के रिफंड या फिर अन्य रिफंड के नाम पर यूजर को एक लिंक या फिर क्यूआर कोड भेज कर भी ठगी करते हैं. ठग यूजर को इनके जरिए एड्रेस व अन्य जानकारी भरने को कहा जाता है. जैसे ही यूजर द्वारा लिंक पर क्लिक करने के बाद यूपीआई डिटेल भरी जाती है, वैसे ही उसके खाते से ठगों द्वारा रुपयों का ट्रांजैक्शन कर लिया जाता है.
साइबर ठगों से कैसे रहें सावधान... साइबर ठगों से कैसे रहें सावधान...
- कैशबैक के लिए कोई भी कंपनी बैंक डिटेल की जानकारी नहीं मांगती, इसलिए यदि कोई व्यक्ति आपको कैशबैक देने का झांसा देकर बैंक से संबंधित या क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी मांगे, तो शेयर ना करें
- क्रेडिट और डेबिट कार्ड के सीवीवी को कहीं पर लिखकर ना रखें, बल्कि उसे याद रखें. विदेश में कार्ड के माध्यम से जो ट्रांजैक्शन किया जाता है, वह ओटीपी के आधार पर ना हो कर सीवीवी के आधार पर होता है. ऐसे में आप ठगी का शिकार हो सकते हैं.
- ठगी से बचने के लिए यूजर अपने कार्ड से ट्रांजैक्शन की लिमिट को निर्धारित कर सकता है या फिर ऑनलाइन बैंकिंग एप में जाकर कार्ड के इंटरनेशनल यूज को बंद कर सकता है. इसके साथ ही यूजर कार्ड प्रोटक्शन प्लान एक्टिवेट करके भी इस तरह की ठगी से होने वाले नुकसान से बच सकता है.
- एयरलाइन टिकट के ऑनलाइन रिफंड के लिए या फिर अन्य किसी प्रकार के रिफंड के लिए यदि आपसे कोई लिंक भेज कर बैंक संबंधित जानकारी मांगी जाती है, तो ऐसा बिल्कुल भी ना करें. ठगी से बचने के लिए किसी भी प्रकार के लिंक पर क्लिक ना करें और ना ही अपने बैंक या क्रेडिट और डेबिट कार्ड से संबंधित जानकारी साझा करें.
- ठगी से बचने के लिए मोबाइल में एंटीवायरस और एंटी मालवेयर सॉफ्टवेयर डाल कर रखें, जिसे समय-समय पर अपडेट करते रहें
- गूगल से किसी भी कंपनी के नंबर सर्च नहीं करें, ऐसा करने पर आप ठगी के शिकार हो सकते हैं
- ठगी होने पर तुरंत ही अपने बैंक को सूचित कर कार्ड को ब्लॉक करवा दें, साथ ही जल्द से जल्द पुलिस में भी शिकायत दें.