जयपुर. मैनहोल या सीवरेज की सफाई करने वाले कर्मचारियों के लिए 400 की दिहाड़ी जान पर भारी पड़ रही है. केंद्र सरकार ने इसे लेकर एक्ट बनाया है और राजस्थान सरकार भी घोषणा कर चुकी है, इसके बाद भी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर लाइन चैंबर की सफाई करते हैं. हर साल सीवरेज मैनहोल में काम करने वाले सैकड़ों सफाई कर्मचारियों की जहरीली गैस से मौत हो जाती है. बावजूद इसके प्रशासन ने आंखों पर पट्टी बांधी रखी है.
कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले सफाई कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरणों के सीवर लाइन चैंबर की सफाई करते हैं... 400 रुपए के लिए जान जोखिम में...
जयपुर में सीवर लाइन चैंबर की सफाई करने वाला शंकर कॉन्ट्रैक्ट पर रोज की 400 रुपये की दिहाड़ी पर अपनी जान जोखिम में डालकर बिना किसी सुरक्षा उपकरण के सीवर चैंबर में उतर जाता है. शंकर को गम बूट, गैस मास्क, सेफ्टी बेल्ट या ग्लव्स कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया जाता. इतना ही नहीं, शंकर का किसी तरह का हेल्थ इंश्योरेंस भी नहीं किया गया है. शंकर जिम्मेदारों की लापरवाही का गवाह है.
कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाला शंकर... manual scavengers and their rehabilitation act 2013में संशोधन...
हालांकि, शंकर और उन जैसे हजारों कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में manual scavengers and their rehabilitation act में संशोधन किया है, जिससे सीवर और सेफ्टी टैंक की मशीनों के माध्यम से सफाई संभव हो. इसके साथ ही मैनहोल शब्द को मशीनहोल से भी स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि सीवर चैंबर में मौजूद मीथेन कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों से सफाई कर्मचारियों की मौत पर विराम लगे. इससे पहले राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सीवरेज मैनहोल में मैनुअल वर्क को बंद करने की घोषणा की थी. लेकिन, ये घोषणा सिर्फ घोषणा बनकर रह गई. सीवरेज मैनहोल की सफाई को लेकर बने नियम कायदे कानून केवल कागजों में सिमटे हुए हैं.
बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के सीवर में उतरता कर्मचारी... शिकायत का इंतजार...
इस संबंध में ईटीवी भारत ने उन तमाम जनप्रतिनिधियों से भी बात की, जो निगम के सबसे ऊंचे ओहदे वाली कुर्सी पर बैठे हैं. जिनकी जानकारी में ही नहीं कि अभी भी सीवर चैंबर की सफाई का काम मैनुअली हो रहा है. हेरिटेज निगम मेयर मुनेश गुर्जर और ग्रेटर नगर निगम मेयर सौम्या गुर्जर का कहना है कि अब तक इस तरह की कोई शिकायत सामने नहीं आई है और यदि ऐसा है तो जांच जरूर कराई जाएगी है.
प्रशासन को शिकायत का इंतजार... सरकारी मुख्य सचेतक भी सरकार की घोषणा को लेकर अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं. उनका कहना है कि 21वीं सदी में भी यदि मानव को सीवर चैंबर में उतरना पड़े, तो ये दुर्भाग्य ही है. लेकिन, सीएम ने एक उचित निर्णय लिया है जिसे उन्होंने मानवतावादी दृष्टिकोण बताया. लेकिन, जब उन्हें हकीकत से रूबरू कराया गया, तो उन्होंने भी जांच की बात कहकर रास्ता नाप लिया.
मैनुअल काम खत्म हो...
इन सब बयानों और हकीकत के बीच वाल्मीकि सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष नंदकिशोर डंडोरिया ने बताया कि सरकार के आदेश केवल कागजों तक सीमित रह गए हैं. अभी भी बिना सुरक्षा उपकरण, उन्हें मैनहोल में उतार कर के सफाई करवाई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि मैनुअल काम खत्म होना चाहिए. लेकिन, सुपर सक्शन और दूसरी मशीन का पाइप लगाने के लिए भी सफाई कर्मचारियों को मैनहोल में उतरना ही पड़ेगा. ऐसे में प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने और अनुभवी सफाई कर्मचारियों की भर्ती की मांग की जाएगी. तब तक वाल्मीकि सफाई कर्मचारी मैनहोल में उतारने का बहिष्कार करेगा.
राजस्थान सरकार द्वारा घोषणा के बाद भी मैनुअल सफाई हो रही है... हालांकि, निगम प्रशासन नई मशीनरी खरीदने की बात कह रहा है. लेकिन, शायद इन्हें अपने आंखों की पट्टी को भी हटा कर फील्ड में उतर कर सच्चाई से भी रूबरू होना होगा. तभी जाकर केंद्र सरकार के एक्ट और राज्य सरकार की घोषणा सफल कही जाएगी.